बजट स्पेशल- सब्सिडी बोझ घटाने की कोशिश

नई दिल्ली. कच्चे तेल के ऊंचे दामों ने भारत के सब्सिडी बोझ को बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 फीसदी कर दिया है। इस बार पेश बजट में सब्सिडी को 2 फीसदी के आसपास लाने का लक्ष्य है ताकि आर्थिक सुधार का पहिया तेजी से दौड़ सके। इसके अलावा सरकार ने अगले वित्त वर्ष में सरकारी कंपनियों में 300 अरब रुपये कीमत की हिस्सेदारी बेचने का भी फैसला किया है।

पेट्रोलियम पदार्थों के लिए दी जाने वाली सब्सिडी में कटौती कर वित्त मंत्री ने संकेत दे दिया है कि जल्द ही डीजल के दामों को सरकारी नियंत्रण से बाहर किए जाने का फैसला लागू हो जाएगा, इससे आम आदमी पर महंगाई की मार और तेज हो सकती है।

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सब्सिडी के बोझ को कम करने की कोशिश की है। बिजनेस वेबसाइट मनीकंट्रोल के मुताबिक, सरकार सब्सिडी के बोझ को कम करके अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने की कोशिश में है। कुल मिलाकर सब्सिडी को लेकर इस बजट में ज्यादा मार नहीं पड़ी है।

वहीं वॉल स्ट्रीट जनरल का कहना है कि सरकार महंगी सब्सिडी से पल्ला झाड़ना चाहती है।

द हिंदू का कहना है कि सरकार ने आम बजट में जितनी फूड सब्सिडी दी है वो बहुत कम है फूड सिक्योरिटी बिल के लिए जितनी सब्सिडी देने का प्रावधान है यह उससे काफी कम है।

एनडीटीवी प्राॅफिट के मुताबिक, सरकार ने इस बजट में सब्सिडी बोझ को एकदम से तो नहीं हटाया है, लेकिन काफी हद तक सब्सिडी बोझ को कम करने की कोषिषें प्रणब दा की ओर से की गई है। इन प्रयासों से अर्थव्यवस्था की सुस्ती काफी हद तक दूर होगी।
 
सब्सिडी को लेकर मिंट का कहना है कि राजस्व घाटे का कम करने की योजना और सब्सिडी के अनचाहे आबंटन से इस बार सरकार का राजस्व गणित काफी हद तक बिगड़ सकता है। वर्तमान में सब्सिडी को कम करना सरकार की सबसे बड़ी चुनौती है।

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