नई दिल्ली. बजट 2012 में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने उन लोगों को राहत देने की कोशिश की है जो सस्ते घरों की चाहत रखते हैं। नए प्रावधानों की वजह से आने वाले दिनों में डेवलपर्स अफोर्डेबल हाउसिंग यानी सस्ते घरों की कीमतें घटा सकते हैं। सरकार ने बजट में डेवलपर्स को अफोर्डेबल हाउसिंग परियोजनाओं के लिए विदेशों से कर्ज लेने की अनुमति दी है। डेवलपर्स का कहना है कि विदेशी वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) की इजाजत से प्रोजेक्ट्स के लिए अपेक्षाकृत कम दर पर पूंजी जुटाना आसान होगा।
इसके अलावा डेवलपर्स ज्यादा से ज्यादा सस्ते आवास वाले प्रोजेक्ट ला सकते हैं। इसके अलावा सरकार ने सरकार ने हाउसिंग सेक्टर में कर्ज का प्रवाह बढ़ाने के लिए क्रेडिट गारंटी फंड गठित करने की भी घोषणा की है। इससे ग्राहकों को घर खरीदने के लिए आसानी से कर्ज मिलेगा।
वित्त मंत्री ने 2012-13 के बजट में बड़े शहरों में कम आय वर्ग के लोगों के लिए आवास की कमी को ध्यान में रखते हुए सस्ते मकानों के प्रोजेक्ट के लिए विदेश से उधारी (ईसीबी) की अनुमति दी है। इससे डेवलपर्स को कम दर पर कर्ज जुटाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा सरकार ने बैंकों को आवास कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फंड गठित करने का प्रस्ताव किया है।
इससे ग्राहकों को घर खरीदने के लिए आसानी से कर्ज मिलेगा। इसके अलावा सरकार ने कम आय वर्ग के लोगों के लिए घर का सपना आसान बनाने के लिए 15 लाख रुपये तक के होम लोन पर ब्याज में 1 फीसदी छूट की स्कीम जारी रखने की घोषणा की है। हालांकि, सीमेंट के दाम बढ़ने की वजह से घर बनाना थोड़ा महंगा जरूर होगा। शुल्क बढ़ोतरी से सीमेंट की कीमतों पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा, लेकिन सीमेंट सेक्टर को कुछ राहत भी दी गई है। एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने से सीमेंट की मांग घटने की आशंका है।
आशियाने में मदद का हाथ
– अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए विदेशी वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) की इजाजत।
– हाउसिंग लोन के लिए संस्थागत कर्ज के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फंड बनेगा।
-रूरल हाउसिंग फंड के लिए बजट राशि 3,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 4,000 करोड़ रुपये की गई।
बिजनेस स्टैंडर्डने रियल एस्टेट में ईसीबी मंजूरी को बहुत ज्यादा फायदेमंद नहीं बताया है। हालांकि वेबसाइट का कहना है कि वित्त मंत्री की ओर से इस सेक्टर पर ध्यान दिया जाना रियल्टी के बेहतर भविष्य की ओर इषारा करता है। उसके मुताबिक, पहली नजर में तो प्रणब दा का ये फैसला शानदार है, लेकिन वाकई में ये उतना बेहतर नहीं है जितना समझा जा रहा है।
दैनिक भास्कर ने अभी प्राॅपर्टी खरीदने वालों को कुछ समय रूकने की सलाह दी है। उसका कहना है कि रियल एस्टेट में ईसीबी मंजूरी जरूर मिली है, लेकिन कुछ महीने के बाद ब्याज दर भी कम होने की उम्मीद है। ऐसे में तब प्राॅपर्टी खरीदना ज्यादा बेहतर होगा।
द हिंदू के बिजनेस लाइनने क्रेडाई के हवाले बजट मेंईसीबी मंजूरी को रियल्टी दिग्गजों के लिए बेहतर मौका बताया है। हालांकि सर्विस टैक्स में हुए 2 फीसदी के इजाफे को उन्होंने मकान की लागत बढ़ाने वाला बताया है। साथ ही इससे देष के कई शहरों-कस्बों में रिटेलरों को फायदा पहुंचने की बात कही है।
इकोनाॅमिक टाइम्सने बजट में सस्ते मकानों को मिली ईसीबी मंजूरी मिलने से रिएल एस्टेट को नई ताकत मिलने की बात कही है। इस क्षेत्र ने सरकार के इस फैसले का स्वागत भी किया है। वेबसाइट के मुताबिक, कर्ज संकट से जूझ रहे इस क्षेत्र में करीब 2.6 करोड़ सस्ते मकानों की कमी पूरी हो सकेगी।
प्रणब दा के बजट में सस्ती आवासीय परियोजनाओं को विदेषी निवेष के लिए मिली मंजूरी को इंडियन एक्सप्रेसने रियल एस्टेट सेक्टर के लिए सही ठहराया है। वहीं इससे सस्ते मकानों के लिए पैसे संबंधी दिक्कतों के भी खत्म होने की उम्मीद जताई है।
इसके अलावा डेवलपर्स ज्यादा से ज्यादा सस्ते आवास वाले प्रोजेक्ट ला सकते हैं। इसके अलावा सरकार ने सरकार ने हाउसिंग सेक्टर में कर्ज का प्रवाह बढ़ाने के लिए क्रेडिट गारंटी फंड गठित करने की भी घोषणा की है। इससे ग्राहकों को घर खरीदने के लिए आसानी से कर्ज मिलेगा।
वित्त मंत्री ने 2012-13 के बजट में बड़े शहरों में कम आय वर्ग के लोगों के लिए आवास की कमी को ध्यान में रखते हुए सस्ते मकानों के प्रोजेक्ट के लिए विदेश से उधारी (ईसीबी) की अनुमति दी है। इससे डेवलपर्स को कम दर पर कर्ज जुटाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा सरकार ने बैंकों को आवास कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फंड गठित करने का प्रस्ताव किया है।
इससे ग्राहकों को घर खरीदने के लिए आसानी से कर्ज मिलेगा। इसके अलावा सरकार ने कम आय वर्ग के लोगों के लिए घर का सपना आसान बनाने के लिए 15 लाख रुपये तक के होम लोन पर ब्याज में 1 फीसदी छूट की स्कीम जारी रखने की घोषणा की है। हालांकि, सीमेंट के दाम बढ़ने की वजह से घर बनाना थोड़ा महंगा जरूर होगा। शुल्क बढ़ोतरी से सीमेंट की कीमतों पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा, लेकिन सीमेंट सेक्टर को कुछ राहत भी दी गई है। एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने से सीमेंट की मांग घटने की आशंका है।
आशियाने में मदद का हाथ
– अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए विदेशी वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) की इजाजत।
– हाउसिंग लोन के लिए संस्थागत कर्ज के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फंड बनेगा।
-रूरल हाउसिंग फंड के लिए बजट राशि 3,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 4,000 करोड़ रुपये की गई।
बिजनेस स्टैंडर्डने रियल एस्टेट में ईसीबी मंजूरी को बहुत ज्यादा फायदेमंद नहीं बताया है। हालांकि वेबसाइट का कहना है कि वित्त मंत्री की ओर से इस सेक्टर पर ध्यान दिया जाना रियल्टी के बेहतर भविष्य की ओर इषारा करता है। उसके मुताबिक, पहली नजर में तो प्रणब दा का ये फैसला शानदार है, लेकिन वाकई में ये उतना बेहतर नहीं है जितना समझा जा रहा है।
दैनिक भास्कर ने अभी प्राॅपर्टी खरीदने वालों को कुछ समय रूकने की सलाह दी है। उसका कहना है कि रियल एस्टेट में ईसीबी मंजूरी जरूर मिली है, लेकिन कुछ महीने के बाद ब्याज दर भी कम होने की उम्मीद है। ऐसे में तब प्राॅपर्टी खरीदना ज्यादा बेहतर होगा।
द हिंदू के बिजनेस लाइनने क्रेडाई के हवाले बजट मेंईसीबी मंजूरी को रियल्टी दिग्गजों के लिए बेहतर मौका बताया है। हालांकि सर्विस टैक्स में हुए 2 फीसदी के इजाफे को उन्होंने मकान की लागत बढ़ाने वाला बताया है। साथ ही इससे देष के कई शहरों-कस्बों में रिटेलरों को फायदा पहुंचने की बात कही है।
इकोनाॅमिक टाइम्सने बजट में सस्ते मकानों को मिली ईसीबी मंजूरी मिलने से रिएल एस्टेट को नई ताकत मिलने की बात कही है। इस क्षेत्र ने सरकार के इस फैसले का स्वागत भी किया है। वेबसाइट के मुताबिक, कर्ज संकट से जूझ रहे इस क्षेत्र में करीब 2.6 करोड़ सस्ते मकानों की कमी पूरी हो सकेगी।
प्रणब दा के बजट में सस्ती आवासीय परियोजनाओं को विदेषी निवेष के लिए मिली मंजूरी को इंडियन एक्सप्रेसने रियल एस्टेट सेक्टर के लिए सही ठहराया है। वहीं इससे सस्ते मकानों के लिए पैसे संबंधी दिक्कतों के भी खत्म होने की उम्मीद जताई है।
रियल एस्टेट साइट जोंस लेंग लसेल ने लिखा है कि इस बजट में ऐसा कुछ नहीं है जिसपर उसे खुश होना चाहिए। यह बजट रियल एस्टेट के लिए मिला जुला है
मनीकंट्रोल ने फायर कैपिटल के चेयरमैन ओम चौधरी के हवाले से कहा है कि इस बजट में वित्त मंत्री के पास रियल एस्टेट के लिए अच्छा करने के मौके थे लेकिन उन्होंने यह मौका गंवा दिया।