नई दिल्ली. देश
में अच्छे स्वास्थ्य की जगह स्टेटस सिंबल को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है।
रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) ने 2011 जनगणना की ताजा रिपोर्ट में
खुलासा किया है कि देश के लगभग 53.1 फीसदी घरों में शौचालय की सुविधा नहीं
है। आधी आबादी आज भी खुले में शौच करने को मजबूर है। लेकिन इसके ठीक उलट
देश में लगभग 63.2 प्रतिशत जनता मोबाइल फोन का इस्तेमाल करती है। 2001 के
मुकाबले पचास फीसदी ज्यादा घरों में नए टीवी सेट खरीदे गए हैं।
देश
के 17.8 फीसदी घरों में रेडियो, टीवी, फोन, कंप्यूटर, साइकिल, बाइक/कार
जैसी बुनियादी जरूरत बन चुके सामान नहीं हैं। इन सुविधाओं के बिना रह रहे
लोगों की संख्या 200 करोड़ के करीब है। अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और
मध्यप्रदेश में तो करीब एक-तिहाई परिवार इन सुविधाओं से वंचित हैं।
जनगणना-2011
के ‘मकान-सूचीकरण और मकानों की गणना’ से मिले आंकड़ों के अनुसार, भारत में
70 फीसदी ग्रामीण और लगभग 19 प्रतिशत शहरी लोग आज भी खुले में शौच करते
हैं। हालांकि 2001 जनगणना के मुकाबले दस सालों में शौचालय के इस्तेमाल में
कुल दस फीसदी का इजाफा भी देखा गया है। 2001 में 63.6 आबादी खुले में शौच
करने को मजबूर थी। 2011 में यह आंकड़ा 53.1 प्रतिशत तक गिर गया है। इसके
ठीक उलट की तस्वीर दिखाते हुए रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के लगभग
63.2 घरों में मोबाइल या टेलीफोन की सुविधा मौजूद है।
सबसे रोचक
बात तो यह है कि पिछले दस सालों के दौरान इस क्षेत्र में लगभग 54 प्रतिशत
का जबरदस्त इजाफा हुआ है। 2001 जनगणना के अनुसार सिर्फ 9.1 प्रतिशत लोग
टेलीफोन या मोबाइल का इस्तेमाल करते थे। आरजीआई रिपोर्ट के अनुसार देश की
47.2 फीसदी घरों में टीवी सेट मौजूद है। बच्चों के अधिकारों के लिए काम
करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘यूनिसेफ’ के विशेषज्ञ एडन क्रोनी का कहना
है ‘खुले में शौच करने की वजह से ही पोलियो, हैजा और एनीमिया जैसे
बीमारियों का संक्रमण बढ़ता है। भारत में 80 फीसदी बच्चों में हैजा होने का
कारण गंदा पानी है। प्रमुख कारण खुले में शौच करना ही है।’
एडन क्रोनी
ने आगे बताया कि देश में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 6 फीसदी पैसा
सिर्फ पानी से फैलने वाले संक्रामक रोगों के निदान में ही खर्च हो जाता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव व राष्ट्रीय ग्रामीण
स्वास्थ्य मिशन की प्रमुख अनुराधा गुप्ता का कहना है ‘खुले में शौच करने की
प्रवृति को रोके बिना संक्रामक बीमारियों से छुटकारा पाना नामुमकिन है।
हाल ही में जिस पोलियो बीमारी से मुक्त होने का जश्न भारत मना रहा है, इसे
जारी रखने के लिए खुले में शौच को रोकना सबसे प्रमुख चुनौतियों में से एक
है।’
रिपोर्ट की अन्य प्रमुख बातें
49 फीसदी घरों में खाना बनाने के लिए सूखी लकडिय़ों का इस्तेमाल
सिर्फ 42 फीसदी घरों में ही है बाथरूम नल से पेयजल की सहुलियत
अभी तक सिर्फ 43 प्रतिशत लोगों तक 67 फीसदी घरों में बिजली उपलब्ध
31 प्रतिशत खाना पकाने के लिएकेरोसिन पर निर्भर
59 फीसदी परिवार बैंक सुविधा का करते हैं इस्तेमाल