इंसानों के नाम नहीं.. यहां जानवरों के नाम है पचास-पचास एकड़ जमीन!

लखनऊ/मैनपुरी।
उप्र जमींदारी उन्मूलन और भू-हदबंदी कानून से बचने के लिए बड़े जोतदारों
ने अपनी जमीन कुत्ते-बिल्लियों के नाम कर दी और फार्म हाउस भी उनके नाम पर
बना दिए, ताकि जमीन बचाई जा सके। सरकार को इनके नाम-पते की जानकारी नहीं
है।




राज्य सरकार ने इस बारे में आयुक्तों और जिलाधिकारियों से दो साल पहले
जानकारी मांगी थी। लेकिन यह अभी तक नहीं मिली है। अब तो सरकार भी बदल गई
है। राजस्व परिषद के विशेष कार्याधिकारी एसकेएस चौहान ने 13 फरवरी और उसके
बाद 15 दिसंबर 2009 को जानकारी मंगाने के लिए चिट्ठी लिखी थी।




राज्य सरकार की ओर से जिलाधिकारियों को लिखे इस पत्र में कहा गया है,
‘उत्तर प्रदेश विधानमंडल की अनुसूचित जातियों और विमुक्त जातियों संबंधी
संयुक्त समिति (1987-1988) के 27वें प्रतिवेदन के अनुसार उत्तर प्रदेश
जमींदारी अधिनियम 1951 और उत्तर प्रदेश भू-हदबंदी (सीलिंग) अधिनियम 1960 के
तहत जिलों में जमीन बिल्ली-कुत्तों आदि के नाम पर पट्टों पर दर्ज है। इसका
विवरण भेजा जाए।




उत्तर प्रदेश जमींदारी अधिनियम 1951 के तहत कोई व्यक्ति तीस एकड़ से अधिक
जमीन का मालिक नहीं हो सकता और उत्तर प्रदेश भू-हदबंदी (सीलिंग) अधिनियम
1960 के तहत 18 एकड़ से ज्यादा जमीन किसी व्यक्ति के पास नहीं रह सकती।




बड़े जमींदारों और जोतदारों ने दोनों कानूनों से अपनी जमीन बचाने के लिए
पचास-पचास एकड़ जमीन अपने कुत्ते-बिल्लियों के नाम कर दी और उसके पट्टे
फार्म हाउस बनाने के लिए दे दिए। अकेले मैनपुरी में ऐसे आठ मामले हैं और
सभी अदालत में विचाराधीन हैं।
 
 

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