केंद्र कपास निर्यात पर रोक फौरन हटाये : मुख्यमंत्री

मुंबई.
केंद्र सरकार द्वारा कपास के निर्यात पर रोक लगाये जाने का मुद्दा
महाराष्ट्र में गरमाने लगा है। विदर्भ और मराठवाड़ा में इस निर्णय के विरोध
में किसानों द्वारा आंदोलन शुरू किये जाने से सकते में आई महाराष्ट्र
सरकार ने प्रधानमंत्री से कपास निर्यात पर लगी रोक को फौरन हटाने की मांग
की है।






मंत्रिमंडल की बैठक में हुई चर्चा :






कपास उत्पादक किसानों के आक्रामक तेवर के मद्देनजर बुधवार को मंत्रिमंडल की
बैठक में इस मुद्दे पर गंभीर रूप से चर्चा हुई। जिसमें मुख्यमंत्री
पृथ्वीराज चव्हाण के नेतृत्व में महाराष्ट्र के वरिष्ठ मंत्रियों का एक
शिष्ठमंडल बनाकर प्रधानमंत्री से मिलने की बात तय हुई। इस शिष्ठमंडल में
उप-मुख्यमंत्री अजित पवार, सहकार मंत्री हर्षवर्धन पाटिल, कृषि मंत्री
राधाकृष्ण विखे-पाटिल और सहकार राज्यमंत्री प्रकाश सोलंके का समावेश है।
मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार मामले की गंभीरता के
मद्देनजर मुख्यमंत्री चव्हाण के नेतृत्व में बना यह शिष्ठमंडल बहुत जल्द
दिल्ली रवाना होने वाला है।






क्या है महाराष्ट्र सरकार की दलील :






कपास के निर्यात पर प्रतिबंध लगाये जाने का महाराष्ट्र पर पड़ने वाले गंभीर
राजनीतिक परिणामों से घबराकर मुख्यमंत्री चव्हाण ने सीधे प्रधानमंत्री डॉ.
मनमोहन सिंह को पत्र लिख कर रोक हटाने की गुहार लगाई है। मुख्यमंत्री का
कहना है कि मराठवाड़ा और विदर्भ के किसान बड़े पैमाने पर कपास की खेती पर
निर्भर हैं। अतीत में आर्थिक परेशानी में फंसने की वजह से बड़ी संख्या में
किसानों ने आत्महत्या भी की थी।






जिसकी वजह से किसानों को राहत देने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने दो हजार
करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की घोषणा भी की। जिससे किसानों की माली हालत
में धीरे-धीरे सुधार हो रहा था, मगर अब कपास के निर्यात पर प्रतिबंध लगाये
जाने से उन पर एक बार फिर संकट आने वाला है। क्योंकि अभी करीब 33 फीसदी
कपास किसानों के पास ही पड़ा हुआ है। लिहाजा कपास उत्पादक किसानों की खस्ता
हाल आर्थिक स्थिति व उनकी परेशानी को देखते हुए केंद्र सरकार को फौरन कपास
निर्यात पर से प्रतिबंध हटाना चाहिए।

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