बेंगलूरः प्रदेश भाजपा के प्रभावशाली नेता बीएस येदियुरप्पा को बडी राहत
प्रदान करते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अवैध खनन के एक मामले में उनके
खिलाफ़ दर्ज प्राथमिकी को खारिज कर दिया. यह मामला लोकायुक्त की रिपोर्ट के
आधार पर था जिसके चलते येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की कुर्सी छोड़नी
पड़ी थी.
न्यायमूर्ति भक्तवत्सल और न्यायमूर्ति गोविन्दराजू की खंडपीठ ने
येदियुरप्पा की याचिका स्वीकार करते हुए आदेश पारित किया. पूर्व
मुख्यमंत्री ने अपनी याचिका में लोकायुक्त पुलिस की प्राथमिकी और राज्यपाल
हंसराज भारद्वाज की उस कार्रवाई को चुनौती दी थी, जिसमें उन्होंने अगस्त
में लोकायुक्त को उनके येदियुरप्पा के खिलाफ़ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने
के निर्देश दिए थे.
अदालत ने येदियुरप्पा के इस तर्क को माना कि उन्हें स्पष्टीकरण का अवसर
दिए बिना उनके खिलाफ़ कार्यवाही की गई. फ़ैसला येदियुरप्पा का हौसला बढ़ाने
वाला है. अवैध खनन में 27 जुलाई को तत्कालीन लोकायुक्त संतोष हेगड़े की
रिपोर्ट में अपना नाम आने पर येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा
था.
लोकायुक्त की रिपोर्ट के मद्देनजर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने
येदियुरप्पा को 31 जुलाई को पद छोड़ने के लिए विवश कर दिया था. रिपोर्ट में
कहा गया था कि साउथ वेस्ट खनन कंपनी ने येदियुरप्पा के परिवार द्वारा
प्रबंधित प्रेरणा टस्ट को 10 करोड़ रुपये दिए थे और खनन कंपनी द्वारा
राचेनहल्ली में 1.02 एकड़ जमीन खरीदे जाने के लिए भी 20 करोड़ रुपये दिए
गए.
हेगड़े ने अपनी रिपोर्ट में कहा था खनन कंपनी द्वारा कुछ लाभ अर्जित किए
जाने की उम्मीद के साथ प्रेरणा टस्ट को यह भुगतान किया गया. येदियुरप्पा
के वकील संदीप पाटिल ने अदालत के आदेश का स्वागत किया और कहा कि यह उनके
येदियुरप्पा लिए एक बडी जीत है क्योंकि इस रिपोर्ट के आधार पर उन्हें
मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था.