मेरठ : प्रदेश में लाखों गरीबों की महामाया पेंशन योजना पर संकट के
बादल मंडराने लगे हैं। विस चुनाव के कारण योजना की दूसरी किस्त नहीं मिली।
अब योजना का भविष्य नई सरकार पर टिका है।
मुख्यमंत्री मायावती ने उप्र मुख्यमंत्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना
शुरू की, जिसमें ऐसे गरीब परिवारों को शामिल किया गया जो गरीब तो हैं
लेकिन उनके नाम बीपीएल सूची में नहीं हैं। सूची में नाम न होने के कारण
उन्हें सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था।
मुख्यमंत्री ने अपने स्तर से यह योजना शुरू करायी। इसमें केन्द्र सरकार का
कोई अंशदान नहीं है। सर्वे हुआ तो प्रदेश में करीब 40 लाख परिवार ऐसे निकले
जो गरीब होते हुए भी सूची में शामिल नहीं हैं। बसपा सरकार ने ऐसे पात्र
परिवारों को तीन सौ रुपये प्रतिमाह की दर से आर्थिक मदद देनी शुरू की। मेरठ
जिले में 27 हजार परिवारों की महामाया पेंशन चालू हुई। इन परिवारों को लगा
कि अब उन्हें जीवन भर यह पेंशन मिलती रहेगी, लेकिन एक साल बाद ही उनकी
उम्मीद टूटने लगी है।
वर्ष-2011-12 में इन परिवारों को पहली किस्त तो मिल गई, लेकिन दूसरी
किस्त मिलने से पहले ही प्रदेश में विस चुनाव हो गए। चुनाव के कारण आधे से
अधिक परिवारों को दूसरी किस्त नहीं मिल पायी। पेंशन की जानकारी के लिए ये
लोग दिन-प्रतिदिन जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं
लेकिन कोई सफलता नहीं मिल रही।
धनाभाव के कारण नहीं मिली दूसरी किस्त
जिला समाज कल्याण अधिकारी मनोज कुमार का कहना है कि जिले में 16 हजार
परिवारों को तो दूसरी किस्त मिल गई है लेकिन धनाभाव के कारण 11 हजार से
अधिक परिवारों को पेंशन नहीं मिली है। शासन को डिमांड भेज रखी है। धनराशि
जारी होने पर ही इन परिवारों को पेंशन मिलेगी। उनका कहना है कि इस योजना का
भविष्य नई सरकार पर निर्भर करेगा।