नई दिल्ली [जाब्यू]। असलियत में आम आदमी पर महंगाई का कितना बोझ पड़ता
है, इसका पता अब ज्यादा आसानी से चल सकेगा। केंद्र सरकार इस हफ्ते पहली बार
देशव्यापी नया उपभोक्ता मूल्य सूचकांक [सीपीआई] जारी करेगी। नया सूचकांक
महंगाई की ज्यादा वास्तविक स्थिति बताएगा।
माना जा रहा है कि आगे चलकर मौजूदा थोक मूल्य सूचकांक [डब्ल्यूपीआई] के
स्थान पर सरकार इस नए सीपीआई को ही लागू करेगी। ब्याज दरों का निर्धारण भी
नए सूचकांक के आधार पर किया जाएगा।
नया सूचकांक मासिक आधार पर जारी किया जाएगा। दुनिया के अधिकांश देशों
में उपभोक्ता आधारित सूचकांक को ही महंगाई का मानक माना जाता है।
भारत में अभी थोक मूल्य सूचकांक को प्रमुखता दी जाती है। इसकी काफी
आलोचना भी की जाती है, क्योंकि यह आम आदमी पर महंगाई के असर को नहीं बता
पाता है।
योजना आयोग ने भी पूर्व में उपभोक्ता आधारित मूल्य सूचकांक की सिफारिश
की थी। अभी श्रम मंत्रालय की तरफ से कृषि क्षेत्र के श्रमिकों, ग्रामीण और
औद्योगिक मजदूरों के लिए अलग-अलग खुदरा मूल्य सूचकांक जारी किए जाते हैं।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की तरफ से जारी इस
सूचकांक को आगे चलकर नीतिगत मामलों के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा। सबसे
बड़ी बात यह है कि ब्याज दरों के निर्धारण के लिए रिजर्व बैंक इसका ही
इस्तेमाल करेगा।
नए सूचकांक में खाद्य व पेय मद में कई अन्य उत्पादों को जोड़ा जा रहा
है। साथ ही कपड़े, जूते-चप्पलों, तंबाकू जैसे उत्पाद भी शामिल किए जाएंगे।