भोपाल। रायसेन
जिले के बिसनखेड़ा गांव से सटा बूचा सिंह का खेत। उसमें लहलहाती गेहूं की
फसल। इस किसान के चेहरे से खुशी साफ झलक रही है। उसकी मेहनत और मौसम की
मेहरबानी का नतीजा है कि इस साल उसे अपने खेत से 40 बोरी तक गेहूं मिल
जाएगा जो पिछले साल से करीब डेढ़ गुना ज्यादा होगा। यह स्थिति बूचा सिंह तक
सीमित नहीं है।
इस साल प्रदेश में गेहूं का रिकार्डतोड़ उत्पादन करीब
एक करोड़ मीट्रिक टन होने के आसार हैं। यह अलग बात है कि आम उपभोक्ताओं को
इसका कोई फायदा नहीं होगा। न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी के कारण उसे
गेहूं 1,400 से 2,000 रु. प्रति क्विंटल तक में खरीदना पड़ सकता है। कृषि
विशेषज्ञों के अनुसार अगर आने वाले कुछ दिनों तक ठंड बरकरार रहती है तो
प्रदेश में गेहूं का उत्पादन 110 लाख मीट्रिक टन को छू सकता है।
मौसम
विभाग ने भी आश्वस्त किया है कि अगले 15 दिनों तक मौसम में बहुत ज्यादा
उतार-चढ़ाव की आशंका नहीं है। इससे बंपर उत्पादन की उम्मीदों को बल मिला
है। पिछले साल 90 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था। इस साल पैदावार करीब 22
फीसदी ज्यादा होगी, जो बीते पांच सालों के दौरान एक साल में सबसे ज्यादा
बढ़ोतरी है। इसी वजह से राज्य सरकार ने गेहूं की सरकारी खरीदी का लक्ष्य भी
पिछली बार के 48 लाख से बढ़ाकर 65 लाख मीट्रिक टन कर दिया है। गत वर्ष के
अनुभवों के मद्देनजर सरकार ने गेहूं के भंडारण की तैयारियां भी शुरू कर दी
हैं। तब भारी मात्रा में गेहूं खुले में रहने से सड़ गया था।
अब आगे क्या? : 20 दिन तक बनी रहे ठंडकइस
बार गेहूं की फसल को सही समय पर सही मौसम नसीब हुआ है, लेकिन मौसम में
ठंडक आने वाले 20 दिन तक बनी रहनी चाहिए। न्यूनतम 11-12 डिग्री का तापमान
मेंटेन रहने से गेहूं की फसल अच्छी आएगी। यदि गर्मी शुरू हो जाती है जो
दाना अभी जैसी स्थिति में है, वह वैसा ही रह जाएगा। – डॉ जीएस रावत,
सलाहकार, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन
क्यों लहलहाया सोना? –
बारिश अच्छी होने और सिंचाई क्षमता में बढ़ोतरी के कारण बुवाई समय पर हो
गई। – फसलों को जब जरूरत थी, उस समय मावठा गिरा। सर्दी की अवधि भी
अपेक्षाकृत लंबी हुई। – ठंडक ज्यादा रहने से कीट-व्याधियों का प्रकोप
ज्यादा नहीं रहा। – तकनीक में सुधार, उन्नत बीजों का इस्तेमाल और बीज
रिप्लेसमेंट ज्यादा रहने से उत्पादकता बढ़ी। – बीजोपचार,उर्वरकों की
उपलब्धता और जिंक सल्फेट के उपयोग को बढ़ावा दिया गया। (बकौल, डॉ डीएन
शर्मा, डाइरेक्टर कृषि)
ऐसे महंगा होगा गेहूंभोपाल ग्रेन एंड
ऑयल सीड्स मर्चेंट्स एसोसिएशन के अनुसार पिछले सीजन के दौरान गेहूं 1,100
से 1,800 (डब्ल्यूएच, लोकवन से शरबती) रुपए प्रति क्विंटल में बिका था। इस
बार इसके 1,400 से 2,000 रुपए के बीच बिकने की संभावना जताई जा रही है।
बंपर फसल के 3 मायने1. किसान : बहुत खुश, कहीं नजर न लगे! हर
तरफ किसानों के खेतों में बालियों से भरे गेहूं की फसल लहलहा रही है। चाहे
बिसनखेड़ा गांव के ही छोटे किसान रमेश कुशवाह हों या फिर औबेदुल्लागंज के
दिवटिया गांव के संपन्न किसान रमजान अली। सभी के चेहरों पर चमक साफ देखी जा
सकती है। उन्हें उम्मीद है कि इस बार पिछले साल की तुलना में गेहूं की
पैदावार बेहतर होगी, बशर्ते आने वाले दो सप्ताह तक उनकी फसल को मौसम की नजर
न लगे।
2. सरकार : गेहूं सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती सरकार इस
वर्ष वह पिछले साल की तुलना में 17 लाख मीट्रिक टन ज्यादा खरीदी करेगी।
पिछले साल आठ लाख मीट्रिक टन गेहूं खुले में ही पड़ा रहा। 10 करोड़ से अधिक
का गेहूं सड़ गया। मप्र वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कारपोरेशन के पास 35
लाख मीट्रिक टन की भंडारण क्षमता है। 23 लाख मीट्रिक टन के अस्थाई गोदाम
बनाए जा रहे हैं। औबेदुल्लागंज के पास बने पक्के कैप में 30 हजार मीट्रिक
टन अनाज रखा जाएगा। कारपोरेशन के एमडी शिवशेखर शुक्ला कहते हैं, ‘हमारा
प्रयास है कच्चे कैप कम से कम हों ताकि बारिश में गेहूं खराब न हो।’
3. आम उपभोक्ता : रोटी तो महंगी ही होगीगेहूं
की फसल बंपर आई है तो क्या इसका लाभ आम उपभोक्ताओं को भी मिलेगा? मांग और
आपूर्ति के नियमानुसार तो ऐसा होना चाहिए। लेकिन ऐसा होगा नहीं। उसे महंगा
गेहूं ही खरीदना होगा। सरकार ने गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य 1385 रु. प्रति
क्विंटल कर दिया है, यानी बाजार में तो 1400 रुपए क्विंटल से कम में गेहूं
मिलेगा ही नहीं। भोपाल ग्रेन एंड ऑयल सीड्स मर्चेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष
हरीश ज्ञानचंदानी की मानें तो अच्छा गेहूं तो 2,000 रुपए क्विंटल से ऊपर
जा सकता है। फिर गेहूं की अधिक बुवाई के कारण चने और तुअर की बुवाई कम हुई
है।
जिले के बिसनखेड़ा गांव से सटा बूचा सिंह का खेत। उसमें लहलहाती गेहूं की
फसल। इस किसान के चेहरे से खुशी साफ झलक रही है। उसकी मेहनत और मौसम की
मेहरबानी का नतीजा है कि इस साल उसे अपने खेत से 40 बोरी तक गेहूं मिल
जाएगा जो पिछले साल से करीब डेढ़ गुना ज्यादा होगा। यह स्थिति बूचा सिंह तक
सीमित नहीं है।
इस साल प्रदेश में गेहूं का रिकार्डतोड़ उत्पादन करीब
एक करोड़ मीट्रिक टन होने के आसार हैं। यह अलग बात है कि आम उपभोक्ताओं को
इसका कोई फायदा नहीं होगा। न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी के कारण उसे
गेहूं 1,400 से 2,000 रु. प्रति क्विंटल तक में खरीदना पड़ सकता है। कृषि
विशेषज्ञों के अनुसार अगर आने वाले कुछ दिनों तक ठंड बरकरार रहती है तो
प्रदेश में गेहूं का उत्पादन 110 लाख मीट्रिक टन को छू सकता है।
मौसम
विभाग ने भी आश्वस्त किया है कि अगले 15 दिनों तक मौसम में बहुत ज्यादा
उतार-चढ़ाव की आशंका नहीं है। इससे बंपर उत्पादन की उम्मीदों को बल मिला
है। पिछले साल 90 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था। इस साल पैदावार करीब 22
फीसदी ज्यादा होगी, जो बीते पांच सालों के दौरान एक साल में सबसे ज्यादा
बढ़ोतरी है। इसी वजह से राज्य सरकार ने गेहूं की सरकारी खरीदी का लक्ष्य भी
पिछली बार के 48 लाख से बढ़ाकर 65 लाख मीट्रिक टन कर दिया है। गत वर्ष के
अनुभवों के मद्देनजर सरकार ने गेहूं के भंडारण की तैयारियां भी शुरू कर दी
हैं। तब भारी मात्रा में गेहूं खुले में रहने से सड़ गया था।
अब आगे क्या? : 20 दिन तक बनी रहे ठंडकइस
बार गेहूं की फसल को सही समय पर सही मौसम नसीब हुआ है, लेकिन मौसम में
ठंडक आने वाले 20 दिन तक बनी रहनी चाहिए। न्यूनतम 11-12 डिग्री का तापमान
मेंटेन रहने से गेहूं की फसल अच्छी आएगी। यदि गर्मी शुरू हो जाती है जो
दाना अभी जैसी स्थिति में है, वह वैसा ही रह जाएगा। – डॉ जीएस रावत,
सलाहकार, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन
क्यों लहलहाया सोना? –
बारिश अच्छी होने और सिंचाई क्षमता में बढ़ोतरी के कारण बुवाई समय पर हो
गई। – फसलों को जब जरूरत थी, उस समय मावठा गिरा। सर्दी की अवधि भी
अपेक्षाकृत लंबी हुई। – ठंडक ज्यादा रहने से कीट-व्याधियों का प्रकोप
ज्यादा नहीं रहा। – तकनीक में सुधार, उन्नत बीजों का इस्तेमाल और बीज
रिप्लेसमेंट ज्यादा रहने से उत्पादकता बढ़ी। – बीजोपचार,उर्वरकों की
उपलब्धता और जिंक सल्फेट के उपयोग को बढ़ावा दिया गया। (बकौल, डॉ डीएन
शर्मा, डाइरेक्टर कृषि)
ऐसे महंगा होगा गेहूंभोपाल ग्रेन एंड
ऑयल सीड्स मर्चेंट्स एसोसिएशन के अनुसार पिछले सीजन के दौरान गेहूं 1,100
से 1,800 (डब्ल्यूएच, लोकवन से शरबती) रुपए प्रति क्विंटल में बिका था। इस
बार इसके 1,400 से 2,000 रुपए के बीच बिकने की संभावना जताई जा रही है।
बंपर फसल के 3 मायने1. किसान : बहुत खुश, कहीं नजर न लगे! हर
तरफ किसानों के खेतों में बालियों से भरे गेहूं की फसल लहलहा रही है। चाहे
बिसनखेड़ा गांव के ही छोटे किसान रमेश कुशवाह हों या फिर औबेदुल्लागंज के
दिवटिया गांव के संपन्न किसान रमजान अली। सभी के चेहरों पर चमक साफ देखी जा
सकती है। उन्हें उम्मीद है कि इस बार पिछले साल की तुलना में गेहूं की
पैदावार बेहतर होगी, बशर्ते आने वाले दो सप्ताह तक उनकी फसल को मौसम की नजर
न लगे।
2. सरकार : गेहूं सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती सरकार इस
वर्ष वह पिछले साल की तुलना में 17 लाख मीट्रिक टन ज्यादा खरीदी करेगी।
पिछले साल आठ लाख मीट्रिक टन गेहूं खुले में ही पड़ा रहा। 10 करोड़ से अधिक
का गेहूं सड़ गया। मप्र वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कारपोरेशन के पास 35
लाख मीट्रिक टन की भंडारण क्षमता है। 23 लाख मीट्रिक टन के अस्थाई गोदाम
बनाए जा रहे हैं। औबेदुल्लागंज के पास बने पक्के कैप में 30 हजार मीट्रिक
टन अनाज रखा जाएगा। कारपोरेशन के एमडी शिवशेखर शुक्ला कहते हैं, ‘हमारा
प्रयास है कच्चे कैप कम से कम हों ताकि बारिश में गेहूं खराब न हो।’
3. आम उपभोक्ता : रोटी तो महंगी ही होगीगेहूं
की फसल बंपर आई है तो क्या इसका लाभ आम उपभोक्ताओं को भी मिलेगा? मांग और
आपूर्ति के नियमानुसार तो ऐसा होना चाहिए। लेकिन ऐसा होगा नहीं। उसे महंगा
गेहूं ही खरीदना होगा। सरकार ने गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य 1385 रु. प्रति
क्विंटल कर दिया है, यानी बाजार में तो 1400 रुपए क्विंटल से कम में गेहूं
मिलेगा ही नहीं। भोपाल ग्रेन एंड ऑयल सीड्स मर्चेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष
हरीश ज्ञानचंदानी की मानें तो अच्छा गेहूं तो 2,000 रुपए क्विंटल से ऊपर
जा सकता है। फिर गेहूं की अधिक बुवाई के कारण चने और तुअर की बुवाई कम हुई
है।