नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो: दिल्ली में चल रहे गैर पंजीकृत अनाथालयों का
आंकड़ा सरकार के पास नहीं है। ऐसी स्थिति में इन अनाथालयों में बच्चों की
दशा के बारे में सरकार के पास कितनी जानकारी होगी इसका सहज अनुमान लगाया जा
सकता है। यह दीगर बात है कि दरियागंज इलाके में स्थित आर्य अनाथालय में
दुष्कर्म का मामला सामने आने के बाद से सरकार पर ऐसे अनाथालयों के खिलाफ
कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया है।
दिल्ली सरकार के महिला व बाल कल्याण विभाग के अधिकारी इस हालत के लिए
लचर कानूनी प्रावधानों की दुहाई देते हुए अपना बचाव कर रहे हैं। उनका कहना
है कि जेजे एक्ट के तहत अनाथालयों का पंजीकरण तो जरूरी है, लेकिन कानून यह
नहीं बताता है कि गैर पंजीकृत अनाथालयों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जानी
चाहिए।
महिला व बाल कल्याण विभाग के एक आला अधिकारी ने बताया कि राजधानी में 63
गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा संचालित पंजीकृत अनाथालय हैं, जबकि सरकार 27
अनाथालयों का संचालन कर रही है। इनमें कुल मिलाकर पांच से सात हजार बच्चे
रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंजीकृत अनाथालयों में किसी भी बच्चे को दाखिल
करने से पहले संबंधित जिले की बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया जाता है
और समिति पूरी जानकारी हासिल करने के बाद ही इन्हें अनाथालयों में भेजती
है। समिति हर तीन महीने पर अनाथालयों का निरीक्षण भी करती है ताकि किसी
बच्चे को कोई दिक्कत नहीं हो। लेकिन गैर पंजीकृत अनाथालयों के मामले में
सरकार के हाथ भी बंधे हुए हैं।