नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश में भूमि घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने आरोप
लगाया है कि रीयल्टी कंपनी एम्मार एमजीएफ [ईएमएलएल] ने हैदराबाद में
खास-खास जगहों पर जमीन हड़पने के लिए दस फर्जी कंपनियां बनाई थी। जांच
एजेंसी का दावा है कि ईएमएलएल के प्रबंध निदेशक श्रवण गुप्ता के निर्देश पर
कर्मचारियों के नाम से ये कंपनियां खोली गई थीं।
हैदराबाद स्थित विशेष अदालत में दायर अपने आरोप पत्र में सीबीआइ ने कहा
कि इन कंपनियों के कारण सरकारी कंपनियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा। जांच
एजेंसी का आरोप है कि 29 जनवरी, 2005 के करार के अनुसार आंध्र प्रदेश
इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर कारपोरेशन [एपीआइआइसी] के तहत आने वाले 100
विला प्लाट बाजार दर पर बेचे जाने थे।
यह ईएमएलएल की जिम्मेदारी थी कि वह बाजार मूल्य के आधार पर प्लाट के
दाम तय करे। लेकिन, कंपनी ने इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की। यह मामला
हैदराबाद भूमि घोटाले से जुड़ा है। बड़े पैमाने पर हुए इस भूमि घोटाले में
राज्य के प्रमुख गृह सचिव बीपी आचार्य और दूसरे नौकरशाहों पर भी इस साजिश
में शामिल होने का आरोप है। इससे सरकारी खजाने को करीब 43.50 करोड़ रुपये का
नुकसान हुआ। जबकि एमजीएफ लैंड लिमिटेड और दुबई स्थित एम्मार प्रापर्टीज
पीजेएससी ने इससे 167.29 करोड़ रुपये बनाए।