रायपुर। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री चरण दास महंत
ने कहा है कि केंद्र सरकार जल्द ही राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण मिशन शुरू
करेगी।
राजधानी रायपुर में रविवार को खाद्य प्रसंस्करण प्रदर्शनी ‘फूड टेक’ के
समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महंत ने कहा कि कृषि के बाद खाद्य
प्रसंस्करण एक ऐसा क्षेत्र है, जिसके द्वारा सर्वाधिक श्रमिकों को रोजगार
दिया जा सकता है। इसी दृष्टि से केंद्र सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण को अपनी
प्राथमिकता वाले क्षेत्र में रखा है। आगामी पंचवर्षीय योजना में हमारा
प्रयास है कि खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय खाद्य
प्रसंस्करण मिशन शुरू किया जाए।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में एक मेगा फूड पार्क स्थापित किए जाने की
योजना है। इसके लिए अनुदान का भी प्रावधान है। महंत ने फूड स्ट्रीट बनाने
की योजना की जानकारी देते हुए कहा कि इस क्षेत्र के लोगों को बड़ी संख्या
में काम मिल सकता है।
महंत ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाधी का सपना था कि खाद्यान
का समुचित रख-रखाव और प्रसंस्करण कार्य किया जाए। उनकी सोच के अनुरूप ही
खाद्य प्रसंस्करण विभाग की स्थापना की गई। एक अनुमान के मुताबिक लगभग 45
हजार करोड़ से 50 हजार करोड़ रुपये मूल्य का खाद्यान बर्बाद हो जाता है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2001 में इस क्षेत्र में लगभग 63 हजार करोड़ रुपये
का निर्यात होता था जो 2007-08 में बढ़कर एक लाख 38 हजार करोड़ रुपये के
करीब हो गया है। इस क्षेत्र में बेहतर निवेश की संभावनाएं हैं।
महंत ने कहा कि छत्तीसगढ़ में ईमली, कोदो, कुटकी, आवला, बहरा, हर्रा
जैसे अनेक उत्पाद हैं जिसमें खाद्य प्रसंस्करण की अच्छी संभावनाएं हैं।
उन्होंने कहा कि किसान अपनी फसल को छह से 10 रुपये में बेचते हैं, वही फसल
उपभोक्ताओं को 40 से 60 रुपये में मिलती है। किसानों को उनकी फसल का अच्छा
मूल्य मिलना चाहिए। इस कार्य में खाद्य प्रसंस्करण काफी उपयोगी साबित हो
सकता है।
राज्यपाल शेखर दत्त ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के
लिए फसलों की पैदावार को बाजार के साथ जोड़ने तथा खाद्य प्रसंस्करण जैसे
माध्यमों से फसलों का मूल्य वृद्धि बढ़ाने की जरूरत है। खाद्य प्रसंस्करण
के क्षेत्र में अमूल दुनिया का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। इसमें छोटे-छोटे
पशुपालकों को सहकारिता के माध्यम से जोड़ा गया तथा मुंबई के विशाल मार्केट
की माग को देखते हुए वहा की दृष्टि से उत्पाद बनाए गए। मध्यप्रदेश दुग्ध
संघ ने इसी तरह साची दूध का सफलतापूर्वक उत्पादन और मार्केटिंग की।
छत्तीसगढ़ में भी ऐसे प्रयासों को मजबूती दी जा रही है।
दत्त ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण की अवधारणा भारत के लिए नई नहीं है।
आम का अचार और हल्दी को सुखाकर उपयोग में लाने जैसे अनेक उदाहरण हमारे
सामने मौजूद हैं। आज जरूरत है विपुल रूप से उपलब्ध संसाधनों का विवेकपूर्ण
इस्तेमाल कर खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से बनाए गए उत्पादों को दूरस्थ
क्षेत्रों के बाजार तक भेजने की।
राज्यपाल ने कहा कि भारत की जमीन समृद्ध है, अनेक फसलों के व्यापक
उत्पादन की दृष्टि से उपयुक्त है और यहा पानी भी है। जब तक किसानों के
हाथों और हल[उपकरणों] में दम है, तब तक उन्हें गरीब रहने की जरूरत नहीं
हैं।
यह प्रदर्शनी भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय,
छत्तीसगढ़ शासन, सीएसआईडीसी तथा पीएचडी चेंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के
संयुक्त आयोजन में लगाई गई थी।