खबर पढ़ने के बाद इन युवाओं की खोज को सलाम करेंगे आप!

रायपुर/महासमुंद। मौसम
विभाग की भविष्यवाणी के लिए अब किसानों को इंतजार करने की आवश्यकता नहीं
है। किसानों को फसल लेने के लिए मौसम की जानकारी उनके घर और खेतों में सहज
ढंग से ही उपलब्ध हो जाया करेगी। गड़बेडा स्थित बाल वैज्ञानिक अनुसंधान
केंद्र के बच्चों ने किसान हितैषी इस हाईटेक मेजर सिस्टम का निर्माण किया
है।

 

 

खरीफ के साथ ही साथ अब किसानों को रबी की फसल के
लिए भी मौसम पर निर्भर होना पड़ रहा है। किसान खरीफ की फसल को मौसमी बारिश
के माध्यम से ही लेते हैं, लेकिन रबी की फसल बेमौसम बारिश के खराब हो जाता
है। गड़बेड़ा अनुसंधान केंद्र के संचालक युवा वैज्ञानिक गौरव चंद्राकर ने
दावा किया है कि उनके केंद्र के द्वारा बनाए गए सिस्टम से किसानों को मौसम
की जानकारी हरपल मिला करेगी। उन्होंने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी के
क्षेत्र में क्रांति लाने वाली हाई टेक मेजर सिस्टम का शोध पत्र वर्किग
प्रोजेक्ट 99 वीं राष्ट्रीय भारतीय विज्ञान कांग्रेस में प्रस्तुत किया गया
है। यह आयोजन भुनेश्वर में आयोजित था।

 

 

मौसम की
जानकारी देने वाले सिस्टम के संबंध में उन्होंने बताया कि यह नवीनतम यंत्र
हाई टेक मेजर सिस्टम का है, इस सिस्टम के जरिए मौसम की द्विआवत्ति पीए
सिग्नल के द्वारा वायुमंडल प्रमुख पैरा मीटर का मापन का जा सकता है और उसी
मापन की प्रक्रिया के चलते मौसम की भविष्यवाणी की जा सकेगी। भुनेश्वर में
आयोजित जिले से वैज्ञानिक गीतेश पंडा, अभिषेक चंद्राकर, दीपक अग्रवाल,
सुरेंद्र चंद्राकर, चुड़ामणी साहू, भोगी पटेल और नरेंद्र पटेल शामिल हुए।

 

 

कम लागत का बड़ा उपकरण

 

 

मौसम
के पूर्वानुमान की जानकारी देने वाला यह बेहद की कम लागत का उपकरण है।
युवा वैज्ञानिक गौरव की मानें तो इस उपकरण के निर्माण में अधिकतम 5 हजार
रुपए की लागत आएगी और एक गांव में सब किसान मिलकर इस उपकरण को गांव में
स्थापित कर सकते हैं। उनका कहना है कि इस उपकरण का सबसे बड़ा फायदा यह होगा
कि जहां इसे स्थापित किया जाएगा वहां के तात्कालीक मौसम की जानकारी भी
किसानों को मिल सकेगी।

 

 

अब तो मौसम विभाग जो
भविष्यवाणी करता है वह मेगा एरिया को कवर करने वाले उपकरण से प्राप्त डाटा
होता है। इस उपकरण में उसी क्षेत्र की जानकारी बेहद की सही साबित होने वाली
मिलेगी जहां पर इसे स्थापित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस उपकरण से न
सिर्फ बारिश की जानकारी मिलेगी बल्कि यह भी पता चल सकेगा कि उपकरण स्थापित
वाले गांव में तापमान की क्या स्थिति रहेगी और बादलों की दिशा क्या होगी।
हवा का भी रूख का पता इस उपकरण के माध्यम से ठीक-ठीक चल सकेगा।

 

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