नई दिल्ली.
दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा है कि संविधान और शिक्षा के
अधिकार कानून में छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्री नर्सरी कक्षाओं
में दाखिले पर किसी तरह की पाबंद नहीं लगाई गई है। सरकार की ओर से एक
हलफनामा दायर करते हुए कहा गया कि स्कूल सरकारी दिशा-निर्देश का पालन करते
हुए प्री नर्सरी कक्षाएं चला सकते हैं। अब शुक्रवार को न्यायालय में नर्सरी
दाखिला उम्र सीमा के मामले की सुनवाई होने वाली है और इस पर फैसला भी आ
सकता है।
कार्यकारी चीफ जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ की खंडपीठ के
समक्ष शिक्षा निदेशालय की अतिरिक्त निदेशक श्रीमती शशि कुशाल ने यह जवाब
दाखिल किया है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीति को चुनौती देने वाले याची ने
गलत व्याख्या की है।
उन्होंने कहा कि बच्चों को नि:शुल्क व जरूरी शिक्षा के अधिकार के तहत ही
तीन वर्ष से अधिक के बच्चे को आरंभिक शिक्षा प्रदान करने के लिए एंट्री
लेवल में दाखिल का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि प्री स्कूल
दाखिले में गांगुली कमेटी की सिफारिशों को लागू करने में कोई कोर कसर नहीं
छोड़ी गई है। इन कक्षाओं में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के बच्चों को
दाखिले का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि सभी स्कूलों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं
कि गरीब बच्चों से आवेदन पत्र के रूप में पैसे न वसूले जाएं। इसके अलाव,
बच्चों को दूरी या अन्य कारणों से दाखिला देने से इनकार न किया जाए। सभी
स्कूलों को निर्देश भी दिए गए हैं कि 31 मार्च 2012 को दाखिला प्रकिया बंद
होने के बाद छह अप्रैल तक स्कूलों में इस कोटे की रिक्त सीटों की जानकारी
जिले के उप शिक्षा निदेशकों को दी जाए। सभी जिला उप निदेशक 10 अप्रैल तक हर
स्कूल में सीटों की जानकारी मुख्यालय में भी देंगे। इस मुद्दे पर अब
खंडपीठ के समक्ष कल सुनवाई होगी।
दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा है कि संविधान और शिक्षा के
अधिकार कानून में छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्री नर्सरी कक्षाओं
में दाखिले पर किसी तरह की पाबंद नहीं लगाई गई है। सरकार की ओर से एक
हलफनामा दायर करते हुए कहा गया कि स्कूल सरकारी दिशा-निर्देश का पालन करते
हुए प्री नर्सरी कक्षाएं चला सकते हैं। अब शुक्रवार को न्यायालय में नर्सरी
दाखिला उम्र सीमा के मामले की सुनवाई होने वाली है और इस पर फैसला भी आ
सकता है।
कार्यकारी चीफ जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ की खंडपीठ के
समक्ष शिक्षा निदेशालय की अतिरिक्त निदेशक श्रीमती शशि कुशाल ने यह जवाब
दाखिल किया है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीति को चुनौती देने वाले याची ने
गलत व्याख्या की है।
उन्होंने कहा कि बच्चों को नि:शुल्क व जरूरी शिक्षा के अधिकार के तहत ही
तीन वर्ष से अधिक के बच्चे को आरंभिक शिक्षा प्रदान करने के लिए एंट्री
लेवल में दाखिल का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि प्री स्कूल
दाखिले में गांगुली कमेटी की सिफारिशों को लागू करने में कोई कोर कसर नहीं
छोड़ी गई है। इन कक्षाओं में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के बच्चों को
दाखिले का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि सभी स्कूलों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं
कि गरीब बच्चों से आवेदन पत्र के रूप में पैसे न वसूले जाएं। इसके अलाव,
बच्चों को दूरी या अन्य कारणों से दाखिला देने से इनकार न किया जाए। सभी
स्कूलों को निर्देश भी दिए गए हैं कि 31 मार्च 2012 को दाखिला प्रकिया बंद
होने के बाद छह अप्रैल तक स्कूलों में इस कोटे की रिक्त सीटों की जानकारी
जिले के उप शिक्षा निदेशकों को दी जाए। सभी जिला उप निदेशक 10 अप्रैल तक हर
स्कूल में सीटों की जानकारी मुख्यालय में भी देंगे। इस मुद्दे पर अब
खंडपीठ के समक्ष कल सुनवाई होगी।