अप्रैल में स्मार्ट कार्ड से मिलेगी सामाजिक सुरक्षा पेंशन

शिमला.
प्रदेश में पहली अप्रैल से 2,67,2८2 लोगों को बैंक के माध्यम से सामाजिक
सुरक्षा पेंशन मिलेगी। इसके लिए सभी पात्र लोगों को बायोमीट्रिक स्मार्ट
कार्ड उपलब्ध करवाए जाएंगे। वर्तमान में यह सुविधा केवल ऊना जिले में
उपलब्ध है, जहां स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के माध्यम से सामाजिक
सुरक्षा पेंशन की अदायगी हो रही है।




पीएनबी-यूको बैंक देंगे सेवा




प्रदेश में अब तक ऊना जिले में एसबीआई के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा पेंशन
मिल रही है। अब शेष बचे 11 जिलों में पीएनबी और यूको बैंक को यह जिम्मा
सौंपा गया है। सात जिलों में यह काम पीएनबी और शेष बचे चार जिलों में यूको
बैंक पात्र लोगों को बायोमीट्रिक स्मार्ट कार्ड उपलब्ध करवाएगा। अप्रैल में
नई व्यवस्था के तहत पेंशन की राशि सीधे पात्र व्यक्ति के खाते में जमा
होगी।




ऊना को छोड़कर सभी जिलों में डाक के माध्यम से पात्र व्यक्ति तक पेंशन
पहुंचाई जा रही है। इससे पात्र लोगों को कई बार पेंशन समय पर न मिलने से
दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। विभाग को इस संबंध में कई शिकायतें मिल
चुकी हैं। यह देखते हुए सरकार ने बैंकों की मदद से पेंशन पहुंचाने का फैसला
लिया है।




कौन है सामाजिक सुरक्षा पेंशन के पात्र




सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्रदेश सरकार की तरफ से उपेक्षित एवं समाज में कमजोर
वर्ग के लोगों को दी जाती है। इसमें वरिष्ठ नागरिक, शारीरिक विकलांग,
अक्षम व्यक्ति, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग से गरीब लोगों
को चुना जाता है।




इसी तरह विधवाओं और अकेली महिलाओं को भी यह सुविधा उनकी पारिवारिक स्थिति
को ध्यान में रखकर दी जाती है। इसमें पात्र व्यक्ति की व्यक्तिगत आय नौ
हजार रुपए और परिवार की वार्षिक आय 15 हजार रुपए वार्षिक से अधिक नहीं होनी
चाहिए। अकेली महिलाओं की आयु 45 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए।




क्या कहते हैं प्रिंसिपल सेक्रेटरी




प्रिंसिपल सेक्रेटरी एसके दास का इस बारे में कहना है कि 31 मार्च तक सभी
पात्र लोगों को स्मार्ट कार्ड उपलब्ध करवा दिए जाएंगे। इस तरह अप्रैल से
सभी लोगों को बैंक के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा पेंशन की अदायगी की जाएगी।






पेंशन पर खर्च हो रहे 111 करोड़ रुपए




सामाजिक सुरक्षा पेंशन पर सरकार की तरफ से 111 करोड़ रुपए वार्षिक खर्च किए
जा रहे हैं। इसके तहत पात्र व्यक्ति को 330 रुपए मासिक पेंशन दी जाती है।
इस पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग निगरानी रखता है। साथ ही पात्र
लोगों की पहचान पंचायत स्तर परकी जाती है।

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