नयी दिल्ली, तीन जनवरी (एजेंसी) सरकार की योजना डाकघरों का इस्तेमाल उन
इलाकों में बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराने की है जो अभी तक इससे वंचित हैं ।
और इस योजना को नये साल में अमली जामा पहनाए जाने की उम्मीद है। इस आशय के
प्रस्ताव को मंजूरी के लिए वित्तमंत्रालय के पास भेजा दिया गया है।
इस
योजना के तहत 1.55 लाख डाकघरों से बैंकों का काम लेने का भी प्रस्ताव है
ताकि विशेषकर ग्रामीण इलाकों में सरकार के वित्तीय समावेषण के लक्ष्य को
हासिल करने में मदद मिल सके। अगर यह योजना सिरे चढ़ती है तो देश के बैंकिंग
नेटवर्क में एक ही झटके में तिगुना वृद्धि हो जाएगी।
देश में लगभग 90 प्रतिशत डाकघर शाखाएं ग्रामीण इलाकों में हैं। वहीं 87,000 बैंक शाखाओं में से लग्भग 24,000 ग्रामीण भारत में हैं।
भारतीय डाक यानी इंडिया पोस्ट दुनिया का सबसे बड़ा डाक नेटवर्क है जिसका एक बड़ा हिस्सा, लगभग 1.4 लाख डाकघर ग्रामीण इलाकों में है। यह विचार काफी समय से है और जुलाई में संचार मंत्री कपिल सिब्बल ने इस बारे
में फिर ध्यान आकर्षित किया। हालांकि योजना को अमली जामा पहनाने से पहले
बैंकिंग व डाक क्षेत्र के प्रशासन से जुड़े कानूनों में व्यापक बदलाव की
जरूरत है।
जानकार सूत्रों ने पीटीआई को बताया, े बैंकिंग लाइसेंस के
लिए आवेदन करने से पहले, कुछ प्रक्रियाएं पूरी करनी होंगी। काम चल रहा है
और प्रस्ताव को वित्तमंत्रालय के पास भेजा गया है ताकि उसकी मंजूरी ली जा
सके। े
ऐसे में नये साल में 113 साल पुराने डाकघर कानून में कुछ संशोधन देखने को मिल सकते हैं। जिनके जरिए इस क्षेत्र को कुछ और खोला जाएगा।
भारतीय
डाकघर कानून 1898 में प्रस्तावित संशोधनों में निजी कूरियर कंपनियों की
सेवाओं को मान्यता देना तथा उन्हें नियामकीय दायरे में लाना शामिल है। इससे
निजी कूरियर कंपनियों के जरिए व्यक्तिगत पत्रों को भेजने जैसी े निषिद्ध
सेवाओं को भी कानूनी बनाया जाएगा। लेकिन इस क्षेत्र में सुधार से पहले डाक
विभाग को बहुत कुछ करना होगा।
इलाकों में बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराने की है जो अभी तक इससे वंचित हैं ।
और इस योजना को नये साल में अमली जामा पहनाए जाने की उम्मीद है। इस आशय के
प्रस्ताव को मंजूरी के लिए वित्तमंत्रालय के पास भेजा दिया गया है।
इस
योजना के तहत 1.55 लाख डाकघरों से बैंकों का काम लेने का भी प्रस्ताव है
ताकि विशेषकर ग्रामीण इलाकों में सरकार के वित्तीय समावेषण के लक्ष्य को
हासिल करने में मदद मिल सके। अगर यह योजना सिरे चढ़ती है तो देश के बैंकिंग
नेटवर्क में एक ही झटके में तिगुना वृद्धि हो जाएगी।
देश में लगभग 90 प्रतिशत डाकघर शाखाएं ग्रामीण इलाकों में हैं। वहीं 87,000 बैंक शाखाओं में से लग्भग 24,000 ग्रामीण भारत में हैं।
भारतीय डाक यानी इंडिया पोस्ट दुनिया का सबसे बड़ा डाक नेटवर्क है जिसका एक बड़ा हिस्सा, लगभग 1.4 लाख डाकघर ग्रामीण इलाकों में है। यह विचार काफी समय से है और जुलाई में संचार मंत्री कपिल सिब्बल ने इस बारे
में फिर ध्यान आकर्षित किया। हालांकि योजना को अमली जामा पहनाने से पहले
बैंकिंग व डाक क्षेत्र के प्रशासन से जुड़े कानूनों में व्यापक बदलाव की
जरूरत है।
जानकार सूत्रों ने पीटीआई को बताया, े बैंकिंग लाइसेंस के
लिए आवेदन करने से पहले, कुछ प्रक्रियाएं पूरी करनी होंगी। काम चल रहा है
और प्रस्ताव को वित्तमंत्रालय के पास भेजा गया है ताकि उसकी मंजूरी ली जा
सके। े
ऐसे में नये साल में 113 साल पुराने डाकघर कानून में कुछ संशोधन देखने को मिल सकते हैं। जिनके जरिए इस क्षेत्र को कुछ और खोला जाएगा।
भारतीय
डाकघर कानून 1898 में प्रस्तावित संशोधनों में निजी कूरियर कंपनियों की
सेवाओं को मान्यता देना तथा उन्हें नियामकीय दायरे में लाना शामिल है। इससे
निजी कूरियर कंपनियों के जरिए व्यक्तिगत पत्रों को भेजने जैसी े निषिद्ध
सेवाओं को भी कानूनी बनाया जाएगा। लेकिन इस क्षेत्र में सुधार से पहले डाक
विभाग को बहुत कुछ करना होगा।