पटना : चीनी उत्पादन में बिहार फिर शीर्ष पर होगा. राज्य सरकार की पहल व
किसानों के हौसले से यह उम्मीद जगी है. 1950-60 के दशक में देश में कुल
खपत का 60 फीसदी चीनी का उत्पादन यहीं होता था.
आज हम अपनी जरूरत को भी पूरा नहीं कर पाते. राज्य में सालाना आठ लाख टन
चीनी की खपत है, जबकि उत्पादन चार लाख टन ही है. लेकिन, अब स्थिति बदलने
लगी है.
दूसरे राज्यों को टक्कर
बंद चीनी मिलों को खोलने की कवायद के अलावा राज्य सरकार ईख का उत्पादन
बढ़ाने पर जोर दे रही है. अब यहां के किसान ईख के उत्पादन में अग्रणी राज्य
तमिलनाडु व महाराष्ट्र को टक्कर देंगे.
तमिलनाडु में औसतन प्रति हेक्टेयर 110 टन व महाराष्ट्र में 85 टन ईख का
उत्पादन होता है. बिहार में यह आंकड़ा पिछले साल तक 54 टन था. कई किसानों
ने नयी तकनीक से 200 टन प्रति हेक्टेयर ईख का उत्पादन किया.
इस वर्ष तीन लाख हेक्टेयर में ईख की खेती हुई है. इससे बिहार के औसत
आंकड़े में 10 फीसदी वृद्धि होने का अनुमान है. 2005 में करीब 1.75 लाख
हेक्टेयर में ईख की खेती हुई थी. पहले 40, अभी 121960 के करीब बिहार में 40
चीनी मिलें थीं. चीनी निगम की 15 मिलें थीं, जो 1990 के दशक में एक-एक कर
बंद हो गयीं.
इनमें दो सुगौली व लौरिया चीनी मिलों में एक सप्ताह पहले उत्पादन शुरू
हुआ. अन्य तीन लीज पर हैं. नौ चीनी मिलों के लिए टेंडर निकाला गया है.
बिहार चीनी मिल को किसी अन्य कार्य के लिए एक कंपनी को दी गयी है. अभी 12
मिलें चल रही हैं. सभी की क्षमता में विस्तार किया गया है.
ईख से सीधे इथेनॉल बनाने की इजाजत नहीं
पटना : केंद्र सरकार ने ईख से सीधे इथेनॉल बनाने की अनुमति बिहार को नहीं
दी है. केंद्र के अनुसार चीनी उत्पादन करनेवाली चीनी मिल ही छोआ से इथेनॉल
बना सकते हैं. बिहार की मांग है कि केंद्र ईख से सीधे इथेनॉल तैयार करने की
अनुमति दे.
केंद्र इसकी अनुमति देता है, तो बिहार में इथेनॉल का बड़े पैमाने पर
उत्पादन हो सकता है. इथेनॉल की देश में बड़ी मांग है. गन्ना विभाग से मिली
जानकारी के अनुसार नरकटियागंज, हरिनगर, रीगा, सुगौली व लौरिया चीनी मिलों
में अभी छोआ से इथेनॉल का उत्पादन हो रहा है.
* तीन वर्षे में चीनी का उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य है. किसानों को
30 करोड़ के बीज व ऑर्गेनिक खाद सब्सिडी दी जायेगी. चीनी मिलों की क्षमता
बढ़ायी जा रही है.
अवधेश प्रसाद कुशवाहा, गन्ना मंत्री
* 10 एकड़ में ईख की खेती की है. विशेषज्ञों व गन्ना विभाग के
अधिकारियों की मदद से प्रति कट्ठा 204 टन ईख की खेती हुई. खाद का कम व
वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल अधिक किया. ईख को रीगा चीनी मिल में देते हैं.
गणेश, रीखौली, डुमरा, सीतामढ़ी
* ईख को कतार में लगाया. कतारों में चार फुट का अंतर रखा. इससे हर पौधे
तक धूप गयी. नतीजा 150 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन हुआ. विभाग
के अधिकारी के समक्ष खेतमें ही ईख का वजन किया गया था. खुद गुड़ का
निर्माण करते हैं.
बिहार सिंह, छतनवार, डुमरांव, बक्सर
– ब्रजेश –