मोहम्मद हारून, हथीन : एक कहावत है कि बगैर सेनापति के फौज कुछ काम की
नहीं। यह कहावत क्षेत्र के सरकारी विद्यालयों पर सटीक बैठती है। क्षेत्र
के 51 स्कूल बगैर सेनापति (मुखियाओं) के चल रहे हैं। हालांकि शिक्षा विभाग
शिक्षा की बेहतरी के लिए विभिन्न योजनाएं लागू कर रहा है, लेकिन लंबे अरसे
से खाली पड़े पदों को भरने की जहमत नहीं उठाई। ऐसे में स्कूल प्रबंधन व
पढ़ाई पर बुरा असर पड़ना स्वाभाविक है।
क्षेत्र में 11 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में इतने
ही पद प्रधानाचार्य के स्वीकृत हैं। इनमें से आलीमेव, बहीन बाल, मलाई,
छांयसा, कोंडल, हथीन गर्ल व उटावड़ गांव के विद्यालयों में अरसे से यह पद
रिक्त पड़े हैं। इसी तरह क्षेत्र में आठ उच्च स्कूल हैं। इनमें केवल एक
स्कूल में ही मुख्याध्यापक (मुखिया) नियुक्त किया हुआ है। बाकी के घर्रोट,
गुरासकर, हुडीथल, कलसाड़ा, मानपुर, रनियाला खुर्द व रणसीका गांव में काफी
लंबे समय से हेड मास्टर नहीं। शिक्षा विभाग के रिकार्ड के मुताबिक क्षेत्र
में 88 पद प्राइमरी स्तर पर मुख्य शिक्षक (हेड टीचर) के स्वीकृत हैं, लेकिन
37 विद्यालय ऐसे हैं जिनमें आज तक कोई हेड टीचर की नियुक्ति नहीं हुई।
यहां काम चलाने के लिए संबंधित विद्यालयों के सीनियर प्रवक्ता या वरिष्ठ
अध्यापक को मुखियाओं की जिम्मेवारी सौंपी हुई है। ऐसे में यह मुखिया कागजी
काम में उलझे रहते हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है। दबे मन से इस
बात को कई विद्यालयों के अस्थाई स्तर पर नियुक्त किए गए मुखियाओं ने माना
भी है।
मेवात शिक्षा मिशन के संस्थापक पूर्व शिक्षक मास्टर मुकुट खां व
राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित पूर्व शिक्षक मास्टर वेद राम शर्मा कहते हैं
कि अनियमित तौर पर नियुक्त किए गए विद्यालय के मुखिया सक्षम फैसला नहीं ले
पाते हैं।
सरकार को भेजी गई है रिपोर्ट : चौहान
खंड शिक्षा अधिकारी आरके सिंह चौहान ने प्रधानाचार्य, मुख्याध्यापक व
मुख्य शिक्षक की कमी की पुष्टि की है। उनका कहना है कि संबंधित रिपोर्ट
विभाग के माध्यम से सरकार को भेजी हुई है। उम्मीद है कि जल्द इस दिशा में
कोई अहम फैसला होगा।