कोलकाता, 15 दिसम्बर (एजेंसी) पंचायत स्तर पर ज्यादा राजनीति से विकास
कार्यों के प्रभावित होने को देखते हुए पश्चिम बंगाल की सरकार राज्य में
तीन स्तरीय पंचायत प्रणाली को गैर राजनीतिक बनाने पर विचार कर रही है ।
राज्य के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा ने प्रेट्र
से कहा, ‘‘पंचायत स्तर पर प्रणाली को गैर राजनीतिक बनाकर हमें विकास की गति
को तेज करने की जरूरत है । पंचायत में विकास कार्यों में राजनीति बर्दाश्त
नहीं की जा सकती ।’’
उन्होंने कहा कि गैर राजनीतिक ग्रामीण निकाय से
क्षुद्र राजनीति को दूर करने में मदद मिलेगी जो पंचायतों में अकसर ग्रामीण
विकास परियोजनाओं को बाधित करता है ।
सिन्हा ने कहा, ‘‘अगर पंचायत चुनाव
को राजनीतिक चिन्हों से मुक्त कर पूरी प्रणाली को गैर राजनीतिक बनाया जाए
तो हमें उम्मीद है कि विकास तेजी से होगा और बिना किसी राजनीतिक बाधा के
होगा ।’’
सिन्हा ने कहा, ‘‘अगर सब कुछ ठीक रहा तो पंचायत कानून 1973 और
संबंधित नियमों में संशोधन की आवश्यकता होगी जो 1978 के पंचायत चुनावों से
पहले बनी थीं । इसे अगले वर्ष राज्य विधानसभा में पेश किया जा सकता है
क्योंकि 2013 में पंचायत चुनाव होने हैं ।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘संपूर्ण पंचायत प्रणाली में बदलाव लाने के लिये अन्य राजनीतिक पार्टियों से भी विचार…विमर्श करने की जरूरत है ।’’
सिन्हा
ने कहा कि इस संबंध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक प्रस्ताव भेजा जा
चुका है । इसके साथ ही उनकी सरकार के 200 दिनों में पंचायत स्तर पर हुए
विभिन्न विकास कार्यों का लेखा…जोखा भी भेजा गया है ।
पश्चिम बंगाल के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा
कि गैर राजनीतिक पंचायत प्रणाली होने से दल…बदल विरोधी समस्या से बचा जा
सकेगा । उन्होंने कहा, ‘‘प्रधान भी विकास कार्यों को तेज कर सकेंगे ।’’
सिन्हा ने दुख जताया कि सिर्फ राजनीति के कारण कम से कम आठ जिले के कई पंचायतों में विकास कार्य ठप्प पड़े हुए हैं ।
उन्होंने
कहा, ‘‘वर्तमान स्थिति में हम आगे नहीं बढ़ सकते और हम 1978 के पहले की
प्रणाली को बदलना चाहते हैं और लोगों के हित में विकास के अनुकूल वातावरण
तैयार करना होगा ।’’
पंचायत प्रशासन पर नौकरशाही हावी रहने के आरोपों को
खारिज करते हुए सिन्हा ने कहा, ‘‘राजनीति हटाने और विकास कार्यों को तेज
करने की खातिर हमने सभी बीडीओ और एसडीओ से कहा है कि वे अपने इलाके में
विशेष अधिकारी के तौर पर काम करें । पंचायत के रोजना के कार्यों पर निगरानी
के लिये हमने विशेष अधिकारी तैनात करने की भी योजना बनाई है ।’’
माकपा
नेता और पूर्व पंचायत मंत्री अनिसुर रहमान भी इस बात से सहमत दिखे कि विकास
कार्यों के आड़े क्षुद्र राजनीति आती है । उनका मानना है कि पंचायत प्रणाली
को गैर राजनीतिक बनाना आसान नहीं है ।
बहरहाल मंत्री का मानना है कि
गैर राजनीतिक पंचायत प्रणाली में कुछ समस्याएं भी हैं । उन्होंने कहा,
‘‘किसी योजना के कार्यान्वयन में देरी या किसी खामी की जिम्मेदारी राजनीतिक
पार्टियों पर नहीं होगी ।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की समस्याओंको दूर करने के लिये हमें कुछ वैकल्पिक रास्ते तलाशने होंगे ।’’
कार्यों के प्रभावित होने को देखते हुए पश्चिम बंगाल की सरकार राज्य में
तीन स्तरीय पंचायत प्रणाली को गैर राजनीतिक बनाने पर विचार कर रही है ।
राज्य के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा ने प्रेट्र
से कहा, ‘‘पंचायत स्तर पर प्रणाली को गैर राजनीतिक बनाकर हमें विकास की गति
को तेज करने की जरूरत है । पंचायत में विकास कार्यों में राजनीति बर्दाश्त
नहीं की जा सकती ।’’
उन्होंने कहा कि गैर राजनीतिक ग्रामीण निकाय से
क्षुद्र राजनीति को दूर करने में मदद मिलेगी जो पंचायतों में अकसर ग्रामीण
विकास परियोजनाओं को बाधित करता है ।
सिन्हा ने कहा, ‘‘अगर पंचायत चुनाव
को राजनीतिक चिन्हों से मुक्त कर पूरी प्रणाली को गैर राजनीतिक बनाया जाए
तो हमें उम्मीद है कि विकास तेजी से होगा और बिना किसी राजनीतिक बाधा के
होगा ।’’
सिन्हा ने कहा, ‘‘अगर सब कुछ ठीक रहा तो पंचायत कानून 1973 और
संबंधित नियमों में संशोधन की आवश्यकता होगी जो 1978 के पंचायत चुनावों से
पहले बनी थीं । इसे अगले वर्ष राज्य विधानसभा में पेश किया जा सकता है
क्योंकि 2013 में पंचायत चुनाव होने हैं ।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘संपूर्ण पंचायत प्रणाली में बदलाव लाने के लिये अन्य राजनीतिक पार्टियों से भी विचार…विमर्श करने की जरूरत है ।’’
सिन्हा
ने कहा कि इस संबंध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक प्रस्ताव भेजा जा
चुका है । इसके साथ ही उनकी सरकार के 200 दिनों में पंचायत स्तर पर हुए
विभिन्न विकास कार्यों का लेखा…जोखा भी भेजा गया है ।
पश्चिम बंगाल के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा
कि गैर राजनीतिक पंचायत प्रणाली होने से दल…बदल विरोधी समस्या से बचा जा
सकेगा । उन्होंने कहा, ‘‘प्रधान भी विकास कार्यों को तेज कर सकेंगे ।’’
सिन्हा ने दुख जताया कि सिर्फ राजनीति के कारण कम से कम आठ जिले के कई पंचायतों में विकास कार्य ठप्प पड़े हुए हैं ।
उन्होंने
कहा, ‘‘वर्तमान स्थिति में हम आगे नहीं बढ़ सकते और हम 1978 के पहले की
प्रणाली को बदलना चाहते हैं और लोगों के हित में विकास के अनुकूल वातावरण
तैयार करना होगा ।’’
पंचायत प्रशासन पर नौकरशाही हावी रहने के आरोपों को
खारिज करते हुए सिन्हा ने कहा, ‘‘राजनीति हटाने और विकास कार्यों को तेज
करने की खातिर हमने सभी बीडीओ और एसडीओ से कहा है कि वे अपने इलाके में
विशेष अधिकारी के तौर पर काम करें । पंचायत के रोजना के कार्यों पर निगरानी
के लिये हमने विशेष अधिकारी तैनात करने की भी योजना बनाई है ।’’
माकपा
नेता और पूर्व पंचायत मंत्री अनिसुर रहमान भी इस बात से सहमत दिखे कि विकास
कार्यों के आड़े क्षुद्र राजनीति आती है । उनका मानना है कि पंचायत प्रणाली
को गैर राजनीतिक बनाना आसान नहीं है ।
बहरहाल मंत्री का मानना है कि
गैर राजनीतिक पंचायत प्रणाली में कुछ समस्याएं भी हैं । उन्होंने कहा,
‘‘किसी योजना के कार्यान्वयन में देरी या किसी खामी की जिम्मेदारी राजनीतिक
पार्टियों पर नहीं होगी ।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की समस्याओंको दूर करने के लिये हमें कुछ वैकल्पिक रास्ते तलाशने होंगे ।’’