पाकिस्तान में करना है खोजी पत्रकारिता, जिंदा लौटने की बात भूल जाएं!

पेरिस.
पत्रकारों के वैश्विक संगठन रिपोटर्स विदआउट बैरियर्स ने बताया कि वर्ष
2011 में विश्व की प्रमुख घटनाओं को कवर करने में 66 पत्रकारों ने अपनी जान
गंवायी और पाकिस्तान में सबसे ज्यादा दस पत्रकार अपने पवित्र मिशन को पूरा
करने के दौरान मारे गये।




आरएसएफ ने जारी वक्तव्य में कहा कि मिस्र के तहरीर चौक से लेकर पाकिस्तान
के दक्षिण-पश्चिम में स्थित खुजदार तक और सोमालिया के मोगादिशु से लेकर
फिलीपींस के शहरों तक हर जगह पत्रकारों ने नकारात्मक स्थितियों मे काम करते
हुए जान गंवायी हैं। किसी जगह राजनीतिक अस्थिरता के समय काम करने के दौरान
वर्ष 2011 में सबसे अधिक संख्या में पत्रकारों की मौतें हुईं हैं।




पाकिस्तान की उठा पटक को कवर करने के लिए वहां गये लगभग 10 पत्रकारों को
मार दिया गया और इस तरह पाकिस्तान पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देश रहा।
अरब देशों की सरकारों के विरूद्ध भड़के जन विद्रोह को कवर करने गये
पत्रकारों की मौत से मध्य पूर्व में मरने वाले पत्रकारों की संख्या इस साल
बढ़कर दोगुनी हों गयी है। इतनी ही संख्या मे पत्नकार लातिन अमेरिकी देशों
में भडकी ¨हसा में मारे गये हैं।




अरब देशों में हुए जन आंदोलनों और दुनिया के बाकी हिस्सों जैसे यूनान,
बेलारूस, युगांडा, चिली तथा अमेरिका में हुए प्रदर्शनों के दौरान बंधक
बनाये गये पत्रकारों की संख्या भी वर्ष 2010 की तुलना में इस


साल दोगुना बढ़कर 1044 हो गयी।




पत्रकारों को बंधक बनाने के मामले में चीन, ईरान और इरीट्रिया सबसे खतरनाक
देश साबित हुए हैं यहां की जेलों में कितने पत्रकारों को बंद करके रखा गया
है इसका कोई अंदाजा नहीं है। इन जगहों को मिलाकर आरएसएफ ने विश्वभर में 10
जगहों को पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक जगहों में शुमार किया है जिसमें
आइवरी कोस्ट की व्यापारिक राजधानी आबिदजान, काहिरा का तहरीर चौक, सीरिया के
डेरा, होम्स और दमिश्क के अलावा यमन की राजधानी सना तथा लीबिया के मिसराता
को भी शामिल किया गया है।

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