लखनऊ, 22 दिसम्बर (एजेंसी) उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने लोकसभा
में आज प्रस्तुत किये जाने वाले राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को गरीबों
के लिए अव्यवहारिक बताते हुए इसे कांग्रेस पार्टी का चुनावी स्टंट करार
दिया है।
यहां आज जारी सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, मायावती ने कहा है कि बिना धन और
खाद्यान्न की व्यवस्था किये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक गरीबों के लिए
अव्यवहारिक है और कांग्रेस पार्टी का चुनावी स्टंट है।
उन्होंने
कांग्रेसनीत संप्रग सरकार पर गैर कांग्रेसी सरकारों के साथ भेदभाव का आरोप
दोहराते हुए कहा है कि इस कानून से गैर कांग्रेस शासित राज्यों पर अत्यधिक
व्यय भार डालने की तैयारी है, क्योंकि इसके प्रावधानों के अनुसार पात्र
व्यक्तियों को
निर्धारित मात्रा में खाद्यान्न की आपूर्ति न होने पर उन्हें खाद्य
सुरक्षा भत्ता देना होगा। इसका व्यय राज्य सरकारों को वहन करना पडेगा।
मायावती
ने यह भी कहा है कि खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने के लिए बड़ी संख्या में
गोदाम और तंत्र विकसित करने की जरुरत होगी और इसका व्यय भी राज्य सरकारों
को ही उठाना पडेगा।
उन्होंने यह भी कहा है कि केन््रद सरकार द्वारा
बीपीएल परिवारों की संख्या न बढाये जाने के कारण भी बडी संख्या में गरीब इस
योजना से बाहर रह जायेंगे और इसका हश्र भी केन््रद सरकार की कई जन
कल्याणकारी योजनाओं की तरह ही होगा, जिनका लाभ गरीबों को मिल नही पा रहा
है।
में आज प्रस्तुत किये जाने वाले राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को गरीबों
के लिए अव्यवहारिक बताते हुए इसे कांग्रेस पार्टी का चुनावी स्टंट करार
दिया है।
यहां आज जारी सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, मायावती ने कहा है कि बिना धन और
खाद्यान्न की व्यवस्था किये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक गरीबों के लिए
अव्यवहारिक है और कांग्रेस पार्टी का चुनावी स्टंट है।
उन्होंने
कांग्रेसनीत संप्रग सरकार पर गैर कांग्रेसी सरकारों के साथ भेदभाव का आरोप
दोहराते हुए कहा है कि इस कानून से गैर कांग्रेस शासित राज्यों पर अत्यधिक
व्यय भार डालने की तैयारी है, क्योंकि इसके प्रावधानों के अनुसार पात्र
व्यक्तियों को
निर्धारित मात्रा में खाद्यान्न की आपूर्ति न होने पर उन्हें खाद्य
सुरक्षा भत्ता देना होगा। इसका व्यय राज्य सरकारों को वहन करना पडेगा।
मायावती
ने यह भी कहा है कि खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने के लिए बड़ी संख्या में
गोदाम और तंत्र विकसित करने की जरुरत होगी और इसका व्यय भी राज्य सरकारों
को ही उठाना पडेगा।
उन्होंने यह भी कहा है कि केन््रद सरकार द्वारा
बीपीएल परिवारों की संख्या न बढाये जाने के कारण भी बडी संख्या में गरीब इस
योजना से बाहर रह जायेंगे और इसका हश्र भी केन््रद सरकार की कई जन
कल्याणकारी योजनाओं की तरह ही होगा, जिनका लाभ गरीबों को मिल नही पा रहा
है।