नयी दिल्ली, 14 दिसंबर (एजेंसी) छह वर्ष की उम्र से पहले बच्चों की स्कूली शिक्षा शुरू नहीं होने की वकालत करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने पूरे देश में नर्सरी में दाखिले की उम्र में एकरूपता लाने के लिए संसद से पहल करने और राज्य सरकारों से सहयोग की अपील की।
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान गुथा सुखेन््रद रेड्डी और अन्य सदस्यों के सवाल के जवाब में सिब्बल ने कहा कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड : सीबीएसई : के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक गांगुली ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में नर्सरी में दाखिले से जुड़े विषयों पर 31 मार्च 2007 को रिपोर्ट पेश कर दी थी।
उन्होंने कहा कि समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा था कि नर्सरी में दाखिले के लिए बच्चे को चार वर्ष की उम्र पूरा करना चाहिए। दिल्ली की सरकार ने इस सिफारिश को मान लिया।
सिब्बल ने कहा, ‘‘नर्सरी और प्राथमिक कक्षा में दाखिले की निगरानी राज्य सरकार की ओर से की जाती है। इसके कारण केंद्र इसमें दखल नहीं करती है।’’ नर्सरी में बच्चों का दाखिला कराने में अभिभावकों को पेश आ रही परेशानी और निजी स्कूलों की ओर से इसे धन कमाने का माध्यम बनाये जाने पर सदस्यों की चिंताओं पर मंत्री ने कहा, ‘‘ छोटे छोटे दो..तीन वर्ष के बच्चों पर स्कूली बस्ते का बोझ डालना गलत है। इस विषय में दाखिले की प्रक्रिया में एकरूपता लाने के लिए सदस्य संसद में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पास करें, तब मैं आगे बढूंगा… लेकिन तब राज्य इसमें बाधा नहीं डालें।’’
सिब्बल ने कहा, ‘‘ मेरा मानना है कि छह वर्ष से पहले बच्चों की स्कूली शिक्षा शुरू ही नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे पहले बच्चों के खेलने की उम्र होती है। कई राज्यों में यह उम्र पांच वर्ष है।’’
कुछ सदस्यों ने कहा कि सिब्बल शिक्षा में सुधार की जल्दबाजी में 100 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पद जीतना चाहते है।
इसका उत्तर देते हुए सिब्बल ने कहा, ‘‘ मैं 100 मीटर की दौड़ तेजी से पूरा करना चाहता हूं लेकिन आप में से कुछ लोग मुझे यह दौड़ शुरू ही नहीं करने दे रहे हैं।’’
सदस्यों की चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा, ‘‘अदालत ने स्कूलों से दाखिले मापदंड स्वयं तय करने को कहा है लेकिन उनसे मेरा आग्रह होगा कि बच्चों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाए।’’
राजीव रंजन सिंह ललन ने कहा कि शिक्षा विभाग का कामकाज जनहित याचिकाओं के माध्यम से अदालत संचालित कर रही हैं तो मंत्रालय क्या कर रहा है।
सिब्बल ने कहा, ‘‘ शिक्षा विभाग हम ही चला रहे हैं। हम स्वीकार करते हैं कि कुछ कमियां हैं लेकिन हम कोशिश कर रहे हैं कि इन कमियों को दूर किया जाए। इसके लिए हम सदन का साथ चाहते हैं।’’
इस दौरान सिब्बल को पक्ष और विपक्ष के सदस्यों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा।
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान गुथा सुखेन््रद रेड्डी और अन्य सदस्यों के सवाल के जवाब में सिब्बल ने कहा कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड : सीबीएसई : के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक गांगुली ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में नर्सरी में दाखिले से जुड़े विषयों पर 31 मार्च 2007 को रिपोर्ट पेश कर दी थी।
उन्होंने कहा कि समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा था कि नर्सरी में दाखिले के लिए बच्चे को चार वर्ष की उम्र पूरा करना चाहिए। दिल्ली की सरकार ने इस सिफारिश को मान लिया।
सिब्बल ने कहा, ‘‘नर्सरी और प्राथमिक कक्षा में दाखिले की निगरानी राज्य सरकार की ओर से की जाती है। इसके कारण केंद्र इसमें दखल नहीं करती है।’’ नर्सरी में बच्चों का दाखिला कराने में अभिभावकों को पेश आ रही परेशानी और निजी स्कूलों की ओर से इसे धन कमाने का माध्यम बनाये जाने पर सदस्यों की चिंताओं पर मंत्री ने कहा, ‘‘ छोटे छोटे दो..तीन वर्ष के बच्चों पर स्कूली बस्ते का बोझ डालना गलत है। इस विषय में दाखिले की प्रक्रिया में एकरूपता लाने के लिए सदस्य संसद में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पास करें, तब मैं आगे बढूंगा… लेकिन तब राज्य इसमें बाधा नहीं डालें।’’
सिब्बल ने कहा, ‘‘ मेरा मानना है कि छह वर्ष से पहले बच्चों की स्कूली शिक्षा शुरू ही नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे पहले बच्चों के खेलने की उम्र होती है। कई राज्यों में यह उम्र पांच वर्ष है।’’
कुछ सदस्यों ने कहा कि सिब्बल शिक्षा में सुधार की जल्दबाजी में 100 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पद जीतना चाहते है।
इसका उत्तर देते हुए सिब्बल ने कहा, ‘‘ मैं 100 मीटर की दौड़ तेजी से पूरा करना चाहता हूं लेकिन आप में से कुछ लोग मुझे यह दौड़ शुरू ही नहीं करने दे रहे हैं।’’
सदस्यों की चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा, ‘‘अदालत ने स्कूलों से दाखिले मापदंड स्वयं तय करने को कहा है लेकिन उनसे मेरा आग्रह होगा कि बच्चों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाए।’’
राजीव रंजन सिंह ललन ने कहा कि शिक्षा विभाग का कामकाज जनहित याचिकाओं के माध्यम से अदालत संचालित कर रही हैं तो मंत्रालय क्या कर रहा है।
सिब्बल ने कहा, ‘‘ शिक्षा विभाग हम ही चला रहे हैं। हम स्वीकार करते हैं कि कुछ कमियां हैं लेकिन हम कोशिश कर रहे हैं कि इन कमियों को दूर किया जाए। इसके लिए हम सदन का साथ चाहते हैं।’’
इस दौरान सिब्बल को पक्ष और विपक्ष के सदस्यों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा।