दो लाख मकान बनाने का वायदा धोखा: मल्होत्रा

जनसत्ता संवाददाता नई दिल्ली, 14 दिसंबर। दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा ने एक बयान जारी कर केंद्रीय शहरी विकास मंत्री की ओर से दिल्ली के गरीबों के लिए दो लाख मकान बनाने के वायदे को जनता को धोखा देने का एक और कदम बताया। उन्होंने कहा कि यूपीए गठबंधन की सरकार पिछले 7 साल से केंद्र में सत्ता में है। और हर वर्ष दिल्ली में एक लाख मकान बनाने का लोकलुभावन वायदे करती रही है लेकिन आज तक उन वायदों को पूरा नहीं किया गया।
भाजपा नेता ने कहा कि दिल्ली का मास्टर प्लान 20 साल के लिए बनाया जाता है। मास्टर प्लान 2021 वर्ष 2008 में बनकर तैयार हो गया था और आज मास्टर प्लान बने हुए पांच साल बीत जाने के बाद केंद्रीय शहरी विकास मंत्री उनमें संशोधन करने के लिए तीन साल का और समय मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि 20 साल के लिए मास्टर प्लान बनाने में 8 साल का समय लगेगा तो दिल्ली की जनता यह जानना चाहती है कि उसके कार्यान्वयन में कितना समय लगेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के दोषपूर्ण योजना बनाने के लिए कौन दोषी है? तत्कालीन केंद्रीय शहरी विकास मंत्री या दिल्ली के सांसद एवं तत्कालीन केंद्रीय शहरी विकास मंत्री? दिल्ली के सभी झुग्गी-झोंपड़ी निवासियों को फ्लैट बनाकर देने का वायदा पिछले सात साल से यूपीए सरकार और 13 साल से शीला सरकार कर रही है लेकिन एक भी झुग्गी निवासी को फ्लैट बनाकर नहीं दिया गया।
प्रो. मल्होत्रा ने कहा कि दिल्ली में राष्ट्रकुल खेलों के आयोजन के लिए उपरगामी सेतु, सड़कों का चौड़ीकरण एवं अन्य परियोजनाओं को पूरा करने के लिए करीब दो लाख लोगों को उजाड़ा गया था, लेकिन उनका पुनर्वास करने के लिए आजतक कोई कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने सवाल किया कि उसके लिए कौन जिम्मेदार है?
प्रो. मल्होत्रा ने कहा कि दिल्ली में जमीन जायदाद से संबंधित अनेक मामलों में सरकार की नीति साफ न होने के कारण दिल्ली में भूखंड, मकानों व दुकानों की कीमतें आसमान को छू रही हैं। दिल्ली शहर में जमीन जायदाद से संबंधित अनेक मामले दिल्ली सरकार और केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय में आपसी तालमेल के अभाव के कारण लंबित पड़े हैं। दिल्ली में स्पेशल एरिया अर्थात वाल्ड सिटी, वाल्ड सिटी एक्सटेंशन (करोलबाग, सदर बाजार, पहाड़गंज) में पुनर्विकास योजना बड़े लंबे समय से लंबित पड़े हैं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में तीन हजार गज के भूखंड पर 18 मंजिलें मकानों का निर्माण करने की योजना पर भी आज तक फैसला नहीं हो पाया है। दिल्ली में लाल डोरा का विस्तार करने और नाइट शैल्टर बनाने जैसे कई मामले लंबित पड़े हैं।

 

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