नई दिल्ली, 14 दिसंबर (एजेंसी) सरकार ने मंगलवार को कहा कि मनरेगा सहित 88,000 करोड़ रुपए के सभी ग्रामीण विकास कार्यक्रमों की नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (सीएजी) से जांच कराई जाएगी। ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने मोहन सिंह के पूरक सवाल के जवाब में कहा, यह आॅडिट 12 राज्यों में होगा और कुछ राज्यों में विशेष महालेखा परीक्षक की नियुक्ति की जाएगी।
मोहन सिंह ने जानना चाहा था कि क्या केंद्र के पास राज्यों में ग्रामीण विकास कार्यक्रमों की राशि के दुरुपयोग की जांच करने की कोई व्यवस्था है। रमेश ने कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को राज्य के सात जिलों में राशि का दुरुपयोग होने के बारे में पत्र लिखा है। इस पर बसपा सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में आसन्न विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यूपीए सरकार राजनीतिक लाभ उठाना चाहती है। रमेश ने कहा कि मनरेगा योजना के लिए दी जाने वाली राशि के दुरुपयोग की शिकायतें मिलने के बाद केंद्र के पास राशि रोकने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है लेकिन वह इसके पक्ष में नहीं हैं।
ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि राशि के दुरुपयोग की सीबीआई जांच के लिए राज्य सरकार की मंजूरी जरूरी है और इसके लिए राज्य सरकार सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि तीसरा विकल्प नियंत्रक व महालेखा परीक्षक से आॅडिट कराने का है। रमेश ने बताया कि प्रधानमंत्री ग्र्रामीण सड़क योजना के तहत अब 800 से 999 की आबादी वाले गांवों को सड़क संपर्क से जोड़ा जाएगा। दूसरे चरण में 600 से 799 की आबादी वाले गांवों को लिया जाएगा।
बसपा सदस्यों ने केंद्र पर उत्तर प्रदेश के साथ भेदभाव का आरोप लगाया जिसके जवाब में रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत 26 जिलों के सड़क प्रस्ताव मंजूर किए गए। उत्तर प्रदेश का कोई भी प्रस्ताव लंबित नहीं है।
मोहन सिंह ने जानना चाहा था कि क्या केंद्र के पास राज्यों में ग्रामीण विकास कार्यक्रमों की राशि के दुरुपयोग की जांच करने की कोई व्यवस्था है। रमेश ने कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को राज्य के सात जिलों में राशि का दुरुपयोग होने के बारे में पत्र लिखा है। इस पर बसपा सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में आसन्न विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यूपीए सरकार राजनीतिक लाभ उठाना चाहती है। रमेश ने कहा कि मनरेगा योजना के लिए दी जाने वाली राशि के दुरुपयोग की शिकायतें मिलने के बाद केंद्र के पास राशि रोकने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है लेकिन वह इसके पक्ष में नहीं हैं।
ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि राशि के दुरुपयोग की सीबीआई जांच के लिए राज्य सरकार की मंजूरी जरूरी है और इसके लिए राज्य सरकार सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि तीसरा विकल्प नियंत्रक व महालेखा परीक्षक से आॅडिट कराने का है। रमेश ने बताया कि प्रधानमंत्री ग्र्रामीण सड़क योजना के तहत अब 800 से 999 की आबादी वाले गांवों को सड़क संपर्क से जोड़ा जाएगा। दूसरे चरण में 600 से 799 की आबादी वाले गांवों को लिया जाएगा।
बसपा सदस्यों ने केंद्र पर उत्तर प्रदेश के साथ भेदभाव का आरोप लगाया जिसके जवाब में रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत 26 जिलों के सड़क प्रस्ताव मंजूर किए गए। उत्तर प्रदेश का कोई भी प्रस्ताव लंबित नहीं है।