कम उम्र-कुंवारी कुड़ियां, काम ऐसा कि सुन आप भी रह जाएंगे दंग : हेमंत भट्ट

आणंद (गुजरात).गुजरात
के एक ग्राम पंचायत की कमान अब गांव की बेटियां संभालेंगी। अविवाहित
बेटियों को पंचायत सौंपने का यह ऐतिहासिक फैसला मध्य गुजरात के सिस्वा गांव
ने लिया है। गांव की आबादी सात हजार है।
 

सर्वसम्मति
से लिए गए फैसले के मुताबिक गांव की सरपंच से लेकर सभी पदाधिकारी लड़कियां
ही होंगी। सरपंच व अन्य पदों के लिए चुनी गईं लड़कियों ने मंगलवार को यहां
नामांकन दाखिल कर दिया।

शेष
दो लड़कियां बुधवार को उम्मीदवारी दाखिल करेंगी। गुजरात में 10 हजार से
अधिक ग्राम पंचायतों के चुनाव 28 दिसंबर को प्रस्तावित हैं। ग्राम पंचायत
के जरिए राजनीतिक क्षेत्र में कदम रखने जा रही सभी लड़कियां 18 से 22 साल
की तथा पढ़ी-लिखी हैं। सिस्वा आणंद जिले की बोरसद तहसील का हिस्सा है।

निर्वाचन
प्रक्रिया के लिए इसे 11 वॉर्ड में विभाजित किया गया है। साफ-सफाई सहित
रचनात्मक प्रयासों के लिए इस गांव को पहले भी राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका
है।

मतदान नहीं होगा:सिस्वा
में मतदान नहीं होगा। ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से लड़कियों को पंचायत
सौंपने का निर्णय कर लिया है। औपचारिक चुनाव प्रक्रिया के साथ सिस्वा में
नई क्रांति का विधिवत ऐलान हो जाएगा।

चार बार से महिला सरपंच:बीते
तीन चुनावों से सिस्वा ग्राम पंचायत का सरपंच महिलाओं को बनाया जा रहा है
वह भी सर्वसम्मति से। हिनल पटेल को गांव का नया सरपंच चुना गया है।

पंचायत की अपनी होगी वेबसाइट:सरपंच
बनने जा रही हिनल पटेल बीएससी नर्सिग हैं। उन्होंने कहा कि गांव में
स्वास्थ्य सेवा को सुदृढ़ करना उनकी प्राथमिकता होगी। तत्पश्चात ग्राम
पंचायत की अपनी विशेष वेबसाइट बनाई जाएगी ताकि देश-दुनिया में रह रहे
ग्रामीण हर प्रसंग में अपने गांव से जुड़ सके।

डोली होगा चुनाव चिन्ह :औपचारिक
चुनाव के लिए चुनाव चिन्ह ‘डोली’ रखा गया है। इस बारे में ग्रामीणों का
कहना है कि चूंकि पंचायत संभालने जा रहीं सभी लड़कियां कुंवारी हैं।
कालक्रम के अनुसार इनका विवाह होगा। किंतु इन्हें गांव में ही राजनीति के
माध्यम से देश सेवा का मौका दिया जा रहा है। इसलिए चुनाव चिन्ह डोली रखा
गया है।

 

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