नयी दिल्ली, 13 दिसंबर (एजेंसी) उच्चतम न्यायालय ने आज एंडोसल्फानन कीटनशाक के अप्रयुक्त भंडार के निर्यात की अनुमति दे दी, लेकिन देश में इसके उत्पादन, बिक्री और इस्तेमाल पर अपने द्वारा लगाए गए पूर्ण प्रतिबंध को बरकरार रखा ।
मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाडिया की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने निर्यात की अनुमति देते हुए कहा कि कृषि रसायन की ‘‘विषाक्तता को कम करने, पैकेजिंग तथा निर्यात’’ का काम सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई हिन्दुस्तान इंसेक्टीसाइड लिमिटेड द्वारा किया जाएगा ।
पीठ ने यह भी कहा कि इसके 30 सितंबर के आदेश का पालन किया जाएगा जिसमें इसने कीटनाशक की पैकेजिंग और निर्यात के लिए तंत्र प्रस्तावित किया था ।
न्यायालय ने नौ दिसंबर को पिछली सुनवाई के दौरान माकपा की युवक इकाई डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन आॅफ इंडिया :डीवाईएफआई: से स्पष्टीकरण मांगा था जिसने निर्यात की अनुमति के लिए प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए कीटनाशक के उत्पादन पर प्रतिबंध के लिए याचिका दायर की थी । न्यायालय ने कहा था, ‘‘आप जहर को देश में क्यों रहने देना चाहते हैं ? इतनी तो समझ सबको होनी चाहिए । यदि इसका निर्यात हो सकता है, तो होने दीजिए ।’’
पीठ ने इससे पूर्व 30 सितंबर को एंडोसल्फान के इस्तेमाल और उत्पादन पर रोक लगाते हुए इसका निर्माण करने वाली कंपनी को लगभग 1100 टन कीटनाशक के निर्यात की अनमुति दे दी थी, ताकि यह अनुबंध दायित्वों को पूरा कर सके ।
न्यायालय ने 13 मई को यह कहकर एंडोसल्फान के उत्पादन ्र बिक्री और इस्तेमाल पर पूर्ण रोक लगा दी थी कि जीवन किसी अन्य चीज से ज्यादा महत्वपूर्ण है और वह नहीं चाहता कि इससे कोई भी बच्चा पीड़ित हो ।
यह आदेश डीवाईएफआई की याचिका पर आया था जिसमें एंडोसल्फान पर इस आधार पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी कि इससे केरल में आनुवंशिक समस्याओं सहित स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा है जहां इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है ।
शीर्ष अदालत ने अपने द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति से पांच अगस्त को देश में निर्मित एंडोसल्फान के अप्रयुक्त भंडार के निर्यात की संभावना का पता लगाने के लिए कहा था । विशेषज्ञ समिति ने इसके निर्यात की सिफारिश की थी ।