दीदी कैसे खाएं इस खाने को। बाखली में चना नहीं, दलिया में मीठा कम,
पुलाव में सब्जी नहीं, खिचड़ी में दाल नहीं। कुछ इस तरह का वार्तालाप आए
दिन होता है हथीन के सरकारी प्राथमिक स्कूलों में बंटने वाले मिड डे मील
खाने बैठे विद्यार्थियों में।
सरकार इस योजना पर प्रति वर्ष करोड़ों रुपये खर्च करती है। स्कूलों में
दिनों के हिसाब से मेन्यू तय किए गए हैं। तय मेन्यू में डाली जाने वाली
सहायक सामग्री भी निर्धारित की गई है। सरकारी स्कूलों में पकने वाले खाने
में शिक्षकों की ओर से तय मापदंड व गुणवत्ता की तरफ कोई ध्यान नहीं।
नतीजतन,107 प्राथमिक व 44 मिडिल स्कूलों के हजारों बच्चों का स्वास्थ्य राम
भरोसे है।
निर्धारित सहायक सामग्री : सरकार ने मीठे चावल में प्रति ग्राम 85
प्रतिशत चावल, 50 प्रतिशत चीनी, 15 प्रतिशत सोयाबीन, खिचड़ी में 55 प्रतिशत
चावल, 30 प्रतिशत दाल, 20 प्रतिशत तिल, स्वाद के अनुसार जीरा का तड़का
दिया जाता है। इसके अलावा पुलाव में 80 प्रतिशत चावल, 30 प्रतिशत (विभिन्न
तरह की मौसमी सब्जी) सब्जी, बाखली में 25 प्रतिशत चना, 55 प्रतिशत गेहूं,
50 प्रतिशत आलू को शामिल किया जाता है। इसके अलावा प्रति बच्चा पांच ग्राम
रिफाइंड का इस्तेमाल किया जाता है।
कहते हैं बीईओ : खंड शिक्षा अधिकारी आरके सिंह चौहान का कहना है कि
समय-समय पर स्कूलों में गुणवत्ता की जांच की जाती है। जहां भी कोई कमी
मिलती है, उसे ठीक कराया जाता है।