नई दिल्ली.
सड़कों पर रात गुजारने वाले बेघर लोगों के लिए राजधानी में फायर प्रूफ रैन
बसेरे बनाए जाएंगे। वैसे, सामान्य रैन बसेरे तो हर साल सर्दियों में बनाए
जाते हैं, लेकिन अब सड़क किनारे बनाए जाने वाले ये रैन बसेरे अग्निरोधक
होंगे। सरकार का कहना है कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ठंड के मौसम में
चालीस अस्थायी अग्निरोधक रैन बसेरों के निर्माण का फैसला लिया गया है।
दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी चेतन सांघी के
मुताबिक पिछले साल से लेकर अब तक कुल सोलह रैन बसेरे आग लगने से बर्बाद हो
गए हैं। इसके चलते इस साल सुरक्षा को शीर्ष प्राथमिक ता देने का निर्णय
लिया गया है। इसके तहत अस्थायी आश्रय स्थल बनाए जाएंगे जो अग्निरोधक होंगे।
सांघी ने कहा कि जल और शौचालय, बिजली, कंबल और गद्दांे जैसी सुविधाओं से
युक्त चालीस नए रैनबसेरों का निर्माण राजधानी के विभिन्न इलाक ों में किया
जाएगा। इन रैनबसेरों में आग की चेतावनी देने वाला अलार्म भी लगाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि फि लहाल विभिन्न इलाकों में चालीस अस्थायी रैनबसेरों का
निर्माण किया जा रहा है। इनमें से तीस को 10 दिसंबर तक बना लिया जाएगा।
इनमें से तीन रैनबसेरे तो केवल महिलाओं के लिनई दिल्ली.
सड़कों पर रात गुजारने वाले बेघर लोगों के लिए राजधानी में फायर प्रूफ रैन
बसेरे बनाए जाएंगे। वैसे, सामान्य रैन बसेरे तो हर साल सर्दियों में बनाए
जाते हैं, लेकिन अब सड़क किनारे बनाए जाने वाले ये रैन बसेरे अग्निरोधक
होंगे। सरकार का कहना है कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ठंड के मौसम में
चालीस अस्थायी अग्निरोधक रैन बसेरों के निर्माण का फैसला लिया गया है।
दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी चेतन सांघी के
मुताबिक पिछले साल से लेकर अब तक कुल सोलह रैन बसेरे आग लगने से बर्बाद हो
गए हैं। इसके चलते इस साल सुरक्षा को शीर्ष प्राथमिक ता देने का निर्णय
लिया गया है। इसके तहत अस्थायी आश्रय स्थल बनाए जाएंगे जो अग्निरोधक होंगे।
सांघी ने कहा कि जल और शौचालय, बिजली, कंबल और गद्दांे जैसी सुविधाओं से
युक्त चालीस नए रैनबसेरों का निर्माण राजधानी के विभिन्न इलाक ों में किया
जाएगा। इन रैनबसेरों में आग की चेतावनी देने वाला अलार्म भी लगाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि फि लहाल विभिन्न इलाकों में चालीस अस्थायी रैनबसेरों का
निर्माण किया जा रहा है। इनमें से तीस को 10 दिसंबर तक बना लिया जाएगा।
इनमें से तीन रैनबसेरे तो केवल महिलाओं के लिए होंगे। ये रैनबसेरे जामा
मस्जिद, यमुना पुश्ता, नेहरू प्लेस और किंग्सवे कैंप के अलावा अन्य कई
इलाकों में बनाए जाएंगे। इनमें से प्रत्येक की लागत तीन लाख रुपए होगी।
/> गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली में कुल 64 स्थायी रैनबसेरे हैं।
इनमें से 44 को डीयूएसआईबी, 18 क ो गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) और दो को महिला
और बाल कल्याण विभाग द्बारा संचालित किया जाता है। इन रैनबसेरों के
अध्यक्ष विजय शर्मा ने कहा, पिछले साल, राजस्व विभाग ने अस्थायी रैनबसेरों
का निर्माण किया था और इनका संचालन एनजीओ द्बारा किया गया था। इस साल, यह
जिम्मेदारी डीयूएसआईबी को सौंपी गई है और यह विभिन्न एनजीओ के साथ मिलकर
काम करेगी।ए होंगे। ये रैनबसेरे जामा
मस्जिद, यमुना पुश्ता, नेहरू प्लेस और किंग्सवे कैंप के अलावा अन्य कई
इलाकों में बनाए जाएंगे। इनमें से प्रत्येक की लागत तीन लाख रुपए होगी।
गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली में कुल 64 स्थायी रैनबसेरे हैं।
इनमें से 44 को डीयूएसआईबी, 18 क ो गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) और दो को महिला
और बाल कल्याण विभाग द्बारा संचालित किया जाता है। इन रैनबसेरों के
अध्यक्ष विजय शर्मा ने कहा, पिछले साल, राजस्व विभाग ने अस्थायी रैनबसेरों
का निर्माण किया था और इनका संचालन एनजीओ द्बारा किया गया था। इस साल, यह
जिम्मेदारी डीयूएसआईबी को सौंपी गई है और यह विभिन्न एनजीओ के साथ मिलकर
काम करेगी।
सड़कों पर रात गुजारने वाले बेघर लोगों के लिए राजधानी में फायर प्रूफ रैन
बसेरे बनाए जाएंगे। वैसे, सामान्य रैन बसेरे तो हर साल सर्दियों में बनाए
जाते हैं, लेकिन अब सड़क किनारे बनाए जाने वाले ये रैन बसेरे अग्निरोधक
होंगे। सरकार का कहना है कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ठंड के मौसम में
चालीस अस्थायी अग्निरोधक रैन बसेरों के निर्माण का फैसला लिया गया है।
दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी चेतन सांघी के
मुताबिक पिछले साल से लेकर अब तक कुल सोलह रैन बसेरे आग लगने से बर्बाद हो
गए हैं। इसके चलते इस साल सुरक्षा को शीर्ष प्राथमिक ता देने का निर्णय
लिया गया है। इसके तहत अस्थायी आश्रय स्थल बनाए जाएंगे जो अग्निरोधक होंगे।
सांघी ने कहा कि जल और शौचालय, बिजली, कंबल और गद्दांे जैसी सुविधाओं से
युक्त चालीस नए रैनबसेरों का निर्माण राजधानी के विभिन्न इलाक ों में किया
जाएगा। इन रैनबसेरों में आग की चेतावनी देने वाला अलार्म भी लगाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि फि लहाल विभिन्न इलाकों में चालीस अस्थायी रैनबसेरों का
निर्माण किया जा रहा है। इनमें से तीस को 10 दिसंबर तक बना लिया जाएगा।
इनमें से तीन रैनबसेरे तो केवल महिलाओं के लिनई दिल्ली.
सड़कों पर रात गुजारने वाले बेघर लोगों के लिए राजधानी में फायर प्रूफ रैन
बसेरे बनाए जाएंगे। वैसे, सामान्य रैन बसेरे तो हर साल सर्दियों में बनाए
जाते हैं, लेकिन अब सड़क किनारे बनाए जाने वाले ये रैन बसेरे अग्निरोधक
होंगे। सरकार का कहना है कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ठंड के मौसम में
चालीस अस्थायी अग्निरोधक रैन बसेरों के निर्माण का फैसला लिया गया है।
दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी चेतन सांघी के
मुताबिक पिछले साल से लेकर अब तक कुल सोलह रैन बसेरे आग लगने से बर्बाद हो
गए हैं। इसके चलते इस साल सुरक्षा को शीर्ष प्राथमिक ता देने का निर्णय
लिया गया है। इसके तहत अस्थायी आश्रय स्थल बनाए जाएंगे जो अग्निरोधक होंगे।
सांघी ने कहा कि जल और शौचालय, बिजली, कंबल और गद्दांे जैसी सुविधाओं से
युक्त चालीस नए रैनबसेरों का निर्माण राजधानी के विभिन्न इलाक ों में किया
जाएगा। इन रैनबसेरों में आग की चेतावनी देने वाला अलार्म भी लगाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि फि लहाल विभिन्न इलाकों में चालीस अस्थायी रैनबसेरों का
निर्माण किया जा रहा है। इनमें से तीस को 10 दिसंबर तक बना लिया जाएगा।
इनमें से तीन रैनबसेरे तो केवल महिलाओं के लिए होंगे। ये रैनबसेरे जामा
मस्जिद, यमुना पुश्ता, नेहरू प्लेस और किंग्सवे कैंप के अलावा अन्य कई
इलाकों में बनाए जाएंगे। इनमें से प्रत्येक की लागत तीन लाख रुपए होगी।
/> गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली में कुल 64 स्थायी रैनबसेरे हैं।
इनमें से 44 को डीयूएसआईबी, 18 क ो गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) और दो को महिला
और बाल कल्याण विभाग द्बारा संचालित किया जाता है। इन रैनबसेरों के
अध्यक्ष विजय शर्मा ने कहा, पिछले साल, राजस्व विभाग ने अस्थायी रैनबसेरों
का निर्माण किया था और इनका संचालन एनजीओ द्बारा किया गया था। इस साल, यह
जिम्मेदारी डीयूएसआईबी को सौंपी गई है और यह विभिन्न एनजीओ के साथ मिलकर
काम करेगी।ए होंगे। ये रैनबसेरे जामा
मस्जिद, यमुना पुश्ता, नेहरू प्लेस और किंग्सवे कैंप के अलावा अन्य कई
इलाकों में बनाए जाएंगे। इनमें से प्रत्येक की लागत तीन लाख रुपए होगी।
गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली में कुल 64 स्थायी रैनबसेरे हैं।
इनमें से 44 को डीयूएसआईबी, 18 क ो गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) और दो को महिला
और बाल कल्याण विभाग द्बारा संचालित किया जाता है। इन रैनबसेरों के
अध्यक्ष विजय शर्मा ने कहा, पिछले साल, राजस्व विभाग ने अस्थायी रैनबसेरों
का निर्माण किया था और इनका संचालन एनजीओ द्बारा किया गया था। इस साल, यह
जिम्मेदारी डीयूएसआईबी को सौंपी गई है और यह विभिन्न एनजीओ के साथ मिलकर
काम करेगी।