जोधपुर.
खान विभाग के जोधपुर जोन में रोहिला कलां, बुझावड़ा सहित चार स्थानों पर
मेसेनरी स्टोन की 502 खदानों के आवंटन में घोटाले का आरोप लगाते हुए
सूरसागर विधायक सूर्यकांता व्यास ने कहा है कि विभाग ने महकमे के अफसरों के
साथ नेताओं के रिश्तेदार व उनके सगे संबंधियों के परिजनों को एक साथ कई
खानें आवंटित कर दी।
इन्हें निरस्त नहीं किया गया तो वे विधानसभा में मामला उठाएंगी। जरूरत पड़ी
तो न्यायालय की शरण भी लेंगी। विधायक व्यास ने गुरुवार को पत्रकार वार्ता
में कहा कि जोधपुर जोन के चार इलाकों में खदानों के आवंटन में अनियमितताएं
बरती गई हैं। उन्होंने बताया इस के बारे में वे मुख्यमंत्री से लेकर अनेक
अधिकारियों को पत्र लिख चुकी हैं, लेकिन इस मामले की जांच को लेकर कोई
गंभीर नहीं है।
विधायक ने बताया कि खान विभाग ने मेसेनरी स्टोन की खदानें आवंटित करने के
लिए 2004 में आवेदन लिए, लेकिन इस मामले में जब जियोलॉजी विभाग की जांच में
सामने आया कि यहां सैंड स्टोन उपलब्ध है। तब विभाग ने इसको लेकर कोई
गाइडलाइन व नीति नहीं बनाई, जबकि दोनों ही खदानों में लीज व रॉयल्टी राशि
में भारी अंतर है।
सैंड स्टोन में प्रतिवर्ष लीज राशि 45 हजार देय है, जबकि मेसेनरी में मात्र
15 हजार भुगतान करना पड़ता है। रॉयल्टी भी प्रति टन 10 रुपए तथा 65 रुपए
है। इसे देखते हुए सरकार को प्रति वर्ष करोड़ों रुपए राजस्व हानि होने की
आशंका है। विधायक व्यास ने प्रदूषण नियंत्रण संबंधी एनओसी की भी जांच करने
की मांग की है।
विधायक की दी गई सूची में कई नाम
विधायक की ओर से दी गई सूची में पूर्व न्यास अध्यक्ष राजेंद्र सोलंकी,
पूर्व महापौर व भाजपा नेता राजेंद्र कुमार गहलोत, राजस्थान पर्यावरण और
स्वास्थ्य बोर्ड के सदस्य लवजीत सिंह सांखला, पूर्व मंत्री मोहन मेघवाल के
परिवार के सदस्य व अधिकारियों में एएमई मनीष वर्मा की पत्नी रेणु वर्मा के
नाम भी शामिल हैं।
अतिरिक्त निदेशक के पत्रों से विवाद
विधायक की ओर से मीडियाकर्मियों को दिए गए दस्तावेज में खान विभाग, जोधपुर
जोन के अतिरिक्त निदेशक केके बोड़ा के विभाग के उप शासन सचिव को लिखे पत्र
भी शामिल हैं। बोड़ा ने इस वर्ष 28 जनवरी को उप शासन सचिव को लिखे पत्र में
मेसेनरी स्टोन के पट्टे स्वीकृत नहीं करने की रिपोर्ट देते हुए नियमों में
कुछ शिथिलताएं देने की अपनी व्यक्तिगत राय भिजवाई, जबकि इससे पहले 21 मई
2010 को स्वयं बोड़ा की सदस्यता वाली कमेटी में यह तय किया गया कि विभागीय
हितों को ध्यान में रखते हुए सैंड स्टोन की सहमति लेकर प्रकरणका निस्तारण
किया जाए। इन दोनों पत्रों में अलग-अगल राय देना ही विवाद का कारण बना है।
नियमानुसार हुआ आवंटन
॥मैं खनन व्यवसायी हूं। सामान्य नागरिक की तरह नियमानुसार आवेदन किया था,
नियमों के विरुद्ध लाभ लेने की कोई बात नहीं है। न्यायालय ने भी आवेदकों के
पक्ष में निर्णय दे रखा है।
राजेंद्र कुमार गहलोत, पूर्व महापौर जोधपुर
सरकार से अनुचित फायदा लेने की बात गलत
॥मैंने व मेरे रिश्तेदारों ने खनन विभाग की सामान्य प्रकिया के तहत आवेदन
किए थे। इसमें किसी प्रकार की अनियमितता नहीं हुई। मेसेनरी स्टोन के प्रथम
आवेदकों से रॉयल्टी सैंड स्टोन की ही ली जाएगी, इससे राज्य सरकार को आर्थिक
नुकसान नहीं होगा।
खनन विभाग ने उच्च न्यायालय की पालना व विभिन्न कमेटियों द्वारा दिए गए
सुझावों पर विचार विमर्श करने के बाद ही लंबित आवेदन पत्रों को बहाल किया
है। सरकार से फायदा लेने की बात गलत है। कोई भी जांच कर लंे, पूरी कार्रवाई
नियमानुसार और सामान्य प्रक्रिया के तहत हुई है।
राजेंद्र सोलंकी, पूर्व अध्यक्ष,नगर विकास न्यास, जोधपुर
खान विभाग के जोधपुर जोन में रोहिला कलां, बुझावड़ा सहित चार स्थानों पर
मेसेनरी स्टोन की 502 खदानों के आवंटन में घोटाले का आरोप लगाते हुए
सूरसागर विधायक सूर्यकांता व्यास ने कहा है कि विभाग ने महकमे के अफसरों के
साथ नेताओं के रिश्तेदार व उनके सगे संबंधियों के परिजनों को एक साथ कई
खानें आवंटित कर दी।
इन्हें निरस्त नहीं किया गया तो वे विधानसभा में मामला उठाएंगी। जरूरत पड़ी
तो न्यायालय की शरण भी लेंगी। विधायक व्यास ने गुरुवार को पत्रकार वार्ता
में कहा कि जोधपुर जोन के चार इलाकों में खदानों के आवंटन में अनियमितताएं
बरती गई हैं। उन्होंने बताया इस के बारे में वे मुख्यमंत्री से लेकर अनेक
अधिकारियों को पत्र लिख चुकी हैं, लेकिन इस मामले की जांच को लेकर कोई
गंभीर नहीं है।
विधायक ने बताया कि खान विभाग ने मेसेनरी स्टोन की खदानें आवंटित करने के
लिए 2004 में आवेदन लिए, लेकिन इस मामले में जब जियोलॉजी विभाग की जांच में
सामने आया कि यहां सैंड स्टोन उपलब्ध है। तब विभाग ने इसको लेकर कोई
गाइडलाइन व नीति नहीं बनाई, जबकि दोनों ही खदानों में लीज व रॉयल्टी राशि
में भारी अंतर है।
सैंड स्टोन में प्रतिवर्ष लीज राशि 45 हजार देय है, जबकि मेसेनरी में मात्र
15 हजार भुगतान करना पड़ता है। रॉयल्टी भी प्रति टन 10 रुपए तथा 65 रुपए
है। इसे देखते हुए सरकार को प्रति वर्ष करोड़ों रुपए राजस्व हानि होने की
आशंका है। विधायक व्यास ने प्रदूषण नियंत्रण संबंधी एनओसी की भी जांच करने
की मांग की है।
विधायक की दी गई सूची में कई नाम
विधायक की ओर से दी गई सूची में पूर्व न्यास अध्यक्ष राजेंद्र सोलंकी,
पूर्व महापौर व भाजपा नेता राजेंद्र कुमार गहलोत, राजस्थान पर्यावरण और
स्वास्थ्य बोर्ड के सदस्य लवजीत सिंह सांखला, पूर्व मंत्री मोहन मेघवाल के
परिवार के सदस्य व अधिकारियों में एएमई मनीष वर्मा की पत्नी रेणु वर्मा के
नाम भी शामिल हैं।
अतिरिक्त निदेशक के पत्रों से विवाद
विधायक की ओर से मीडियाकर्मियों को दिए गए दस्तावेज में खान विभाग, जोधपुर
जोन के अतिरिक्त निदेशक केके बोड़ा के विभाग के उप शासन सचिव को लिखे पत्र
भी शामिल हैं। बोड़ा ने इस वर्ष 28 जनवरी को उप शासन सचिव को लिखे पत्र में
मेसेनरी स्टोन के पट्टे स्वीकृत नहीं करने की रिपोर्ट देते हुए नियमों में
कुछ शिथिलताएं देने की अपनी व्यक्तिगत राय भिजवाई, जबकि इससे पहले 21 मई
2010 को स्वयं बोड़ा की सदस्यता वाली कमेटी में यह तय किया गया कि विभागीय
हितों को ध्यान में रखते हुए सैंड स्टोन की सहमति लेकर प्रकरणका निस्तारण
किया जाए। इन दोनों पत्रों में अलग-अगल राय देना ही विवाद का कारण बना है।
नियमानुसार हुआ आवंटन
॥मैं खनन व्यवसायी हूं। सामान्य नागरिक की तरह नियमानुसार आवेदन किया था,
नियमों के विरुद्ध लाभ लेने की कोई बात नहीं है। न्यायालय ने भी आवेदकों के
पक्ष में निर्णय दे रखा है।
राजेंद्र कुमार गहलोत, पूर्व महापौर जोधपुर
सरकार से अनुचित फायदा लेने की बात गलत
॥मैंने व मेरे रिश्तेदारों ने खनन विभाग की सामान्य प्रकिया के तहत आवेदन
किए थे। इसमें किसी प्रकार की अनियमितता नहीं हुई। मेसेनरी स्टोन के प्रथम
आवेदकों से रॉयल्टी सैंड स्टोन की ही ली जाएगी, इससे राज्य सरकार को आर्थिक
नुकसान नहीं होगा।
खनन विभाग ने उच्च न्यायालय की पालना व विभिन्न कमेटियों द्वारा दिए गए
सुझावों पर विचार विमर्श करने के बाद ही लंबित आवेदन पत्रों को बहाल किया
है। सरकार से फायदा लेने की बात गलत है। कोई भी जांच कर लंे, पूरी कार्रवाई
नियमानुसार और सामान्य प्रक्रिया के तहत हुई है।
राजेंद्र सोलंकी, पूर्व अध्यक्ष,नगर विकास न्यास, जोधपुर