सिर्फ नाम के सहारे कैसे पकड़ें फर्जी शिक्षाकर्मी!

बिलासपुर।
फर्जी शिक्षाकर्मियों को लेकर पुलिस की परेशानी बढ़ गई है। जिला पंचायत ने
पुलिस को शिक्षाकर्मियों के नाम और उनके स्कूल के पते की सूची दी है,
लेकिन मूल पता अज्ञात है। अब जिले भर की पुलिस इन फर्जी शिक्षाकर्मियों का
मूल पता जानने में जुटी है, ताकि गिरफ्तारी हो सके।








जिला पंचायत ने बुधवार को और 15 शिक्षाकर्मियों की सूची जारी की है। यही
सूची गुरुवार को तखतपुर पुलिस को सौंपी गई है। तखतपुर पुलिस ने तत्काल
गिरफ्तारी के लिए फर्जी शिक्षाकर्मियों की सूची संबंधित थानों का भेज दी
है। अब आधे जिले की पुलिस शिक्षाकर्मियों के पीछे दौड़ रही है। गुरुवार को
स्कूलों से फर्जी शिक्षाकर्मियों के वे दस्तावेज हासिल हुए हैं, जिसके
सहारे वे नौकरी कर रहे थे।






चूंकि सभी शिक्षाकर्मी संशोधन और अटैचमेंट वाले फर्जी आदेश से नौकरी कर रहे
थे, लिहाजा इनके मूल स्थान की जानकारी हासिल करने में पुलिस को खासी
मशक्कत करनी पड़ रही है। पुलिस ने गुरुवार की कार्रवाई में सभी
शिक्षाकर्मियों की उपस्थिति पंजी जब्त की है। अब स्कूल के सहकर्मियों से
उनकी रिश्तेदारी की जानकारी ली जा रही है, ताकि फर्जीवाड़ा करने वालों को
सलाखों के पीछे लाया जा सके।






कंप्यूटर में मिला आदेश का फार्मेट






तखतपुर पुलिस ने सरगना रामप्यारे के पास से एक कंप्यूटर जब्त किया है।
कंप्यूटर की जांच में संशोधन और संलग्नीकरण का फार्मेट मिला है। इसमें जिला
पंचायत सीईओ के दस्तखत मौजूद है। सूत्र बताते हैं कि रामप्यारे ने जिला
पंचायत से जारी संलग्नीकरण और संशोधन आदेश की प्रति हासिल कर उसे स्कैन
किया होगा, जिसका इस्तेमाल फर्जीवाड़े के लिए किया गया।






सभी गायब






जिला पंचायत ने जिन 15 शिक्षाकर्मियों की सूची बुधवार को जारी की है, वे
सभी स्कूल में गायब पाए गए हैं। फर्जीवाड़े का सरगना रामप्यारे की
गिरफ्तारी से इन्हें भी भनक लग गई थी कि उनका भी नाम सामने आने वाला है।
रामप्यारे को पुलिस ने 16 नवंबर को गिरफ्तार किया। 15 शिक्षाकर्मी इसी दिन
से गायब चल रहे हैं।
 
 

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