अन्ना का जनलोकपाल होगा या सत्ता और विपक्ष का लोकपाल

अन्ना
हजारे के प्रमुख सहयोगियों ने संसद के शीतकालीन सत्र में लोकपाल विधेयक को
पारित कराने के लिए दबाव बनाने के मकसद से मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी
(भाजपा) के नेताओं अरुण जेटली और सुषमा स्वराज से मुलाकात की। मुलाकात के
बाद टीम अन्ना के प्रमुख सहयोगी अरविन्द केजरीवाल ने बताया कि ऐसी खबरें आई
हैं कि स्थायी समिति ने केंद्र सरकार के समूह-बी के कर्मचारियों को लोकपाल
के दायरे में रखने की सिफारिश की है,लेकिन समूह-सी और समूह-डी को बाहर
रखने की। समूह-ए को विधेयक के दायरे में शुरू से रखा गया है। खबरों में यह
भी कहा गया है कि न्यायपालिका,केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और सिटिजन
चार्टर को भी लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है। यदि केजरीवाल कि आशंकाओं
को सही माना जाए तो यह तय दिख रहा है कि अन्ना का जनलोकपाल सरकार शायद ही
पेश करे। और इस बार जनलोकपाल बिल को पेश न करने का ठीकरा सिर्फ कांग्रेस पर
नहीं फूटेगा क्योंकि कांग्रेस को यह कहने का मौका मिल जाएगा कि स्थायी
समिति में सभी पार्टियों कि नुमाएंदगी है।

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