शिमला.प्रदेश
हाईकोर्ट ने मंत्रिमंडल से पूछा है सील्ड और रिस्ट्रिक्टेड रोड से एकत्र
हुई राशि का इस्तेमाल कानून के अनुसार क्यों नहीं किया जा रहा। न्यायाधीश
दीपक गुप्ता और न्यायाधीश सुरिंद्र ठाकुर ने गृह सचिव की ओर से दायर शपथ
पत्र के आधार पर यह जानकारी मांगी है।
कोर्ट ने पूछा
है कि परमिट जारी करने से एकत्र हुई 92,59,555 रुपए का इस्तेमाल इन मार्गो
पर सीसीटीवी कैमरे और पद यात्रियों की सुरक्षा के लिए क्यों नहीं किया
गया। इस मामले में पहले भी उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार से शिमला नगर के
विभिन्न मार्गो और भीड़भाड़ वाले स्थानों की मॉनीटरिंग के लिए सीसीटीवी
कैमरे लगाने के बारे में भी पूछा था।
सरकार ने धन
की कमी का तर्क देते हुए नगर निगम को कहा था कि वह अपने संसाधनों से धन
जुटाए। सरकार ने यह भी कहा था कि निगम को अब पहले से ज्यादा शक्तियां दे दी
गई हैं। लिहाजा उन्हें निगम को खुद धन का बंदोबस्त करना चाहिए।
जवाब न देने पर डीसी शिमला हाईकोर्ट में तलब
न्यायालय
ने गृह सचिव और डीसी शिमला से पूछा था कि सील्ड और रिस्ट्रिक्टेड रोड पर
परमिट जारी करने और समर फेस्टिवल शिमला से कितना धन एकत्र होता है। डीसी
शिमला ने हलफनामा दायर नहीं किया। न्यायालय ने उन्हें 14 नवंबर को हाईकोर्ट
में तलब किया है। यह आदेश न्यायालय ने नीलम शर्मा की ओर से दायर याचिका पर
पारित किए।
इसमें शिमला के मार्गो एवं मुख्य
बाजारों पर अतिक्रमण का मुद्दा भी उठाया गया है। न्यायालय ने याचिका के
मुद्दों का विस्तार करते हुए इसमें नगर निगम से अवैध तहबाजारी और नगर की
सुरक्षा के संदर्भ में उठाए जाने वाले कदमों पर हलफनामा दायर करने के आदेश
दिए थे। मामले की सुनवाई 14 नवंबर की होगी।