रांची [श्याम किशोर चौबे]। विद्युत उत्पादन के लिए झारखंड सरकार के साथ
एमओयू करनेवाली 28 बड़ी कंपनियों पर तलवार लटक रही है। इन कंपनियों ने कुल
मिलाकर 37,600 मेगावाट बिजली उत्पादन के समझौता ज्ञापन [एमओयू] पर
हस्ताक्षर किए थे। यह बिजली झारखंड समेत अन्य राज्यों को सप्लाई की जाती।
अब इन कंपनियों के एमओयू निरस्त करने का प्रस्ताव है, क्योंकि पावर प्लांट
लगाने के लिए आवश्यक जमीन की व्यवस्था इनमें से एक भी कंपनी नहीं कर सकी।
इनमें से अधिकतर को आवश्यक कोल ब्लॉक मुहैया करा दिए गए थे।
इन सभी कंपनियों के द्वारा प्लांट लगाने के लिए समय की तय सीमा वर्षो
पहले समाप्त हो चुकी है। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार ने कंपनियों को कोल
ब्लॉक/कोल लिंकेज और पानी की दी गई सुविधा खत्म करने का मन बना लिया है।
हालांकि, सरकार ने एक और मौका देते हुए 15 नवंबर तक कंपनियों से स्पष्टीकरण
मांगा है।
बिजली उत्पादन के क्षेत्र में रसूख रखने वाली 33 कंपनियों ने वर्ष 2004
के बाद राज्य सरकार से एमओयू कर कई प्लांट लगाने की इच्छा जताई थी। इन
कंपनियों द्वारा 43,815 मेगावाट अतिरिक्त बिजली उत्पादन की संभावना बनी थी।
इनमें से जिंदल, टाटा जैसी कई कंपनियों ने स्टील संयंत्र भी लगाने का
एमओयू किया था। अब 2011 के अंत में हालत यह कि इन 33 में से 28 कंपनियां
पावर प्लांट लगाने की दिशा में दिलचस्पी नहीं ले रही हैं।