दस साल में तीन गुना बढ़ी भारतीयों की औसत संपत्ति

दिल्ली.
देश में भले ही बड़ी संख्या में गरीब रहते हों, लेकिन प्रति भारतीय औसत
संपत्ति विगत दस वर्षो में तीन गुनी बढ़कर 5,500 डॉलर (करीब 2.70 लाख रुपए)
हो गई है। इसी के साथ कुल वैश्विक संपत्ति में सबसे अधिक योगदान देने वाले
देशों की सूची में भारत छठे पायदान पर आ गया है। इसके बावजूद भारतीयों की
औसत संपत्ति 51 हजार डॉलर के इसके वैश्विक आंकड़े की तुलना में काफी कम है।
यह स्विट्जरलैंड में दर्ज 5,40,010 डॉलर की सबसे अधिक प्रति वयस्क व्यक्ति
संपत्ति के औसत से भी बहुत कम है।
 


 
यह बात निवेश बैंक
क्रेडिट सुइस के एक वैश्विक अध्ययन में कही गई है। भारत में 2000 में
प्रति वयस्क व्यक्ति औसत संपत्ति दो हजार डॉलर थी, जो 2011 में बढ़कर 5,500
डॉलर हो गई। लेकिन देश में अब भी अमीरी-गरीबी के बीच काफी अंतर है।


टॉप-3 अमीर देश


 
प्रति
वयस्क व्यक्ति संपत्ति के मामले में स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और नॉर्वे
दुनिया के सबसे अमीर देश हैं। जबकि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आस्ट्रेलिया
के बाद सिंगापुर दूसरा अमीर देश है, वहीं यह देश औसत संपत्ति के मामले में
दुनिया में पांचवें पायदान पर है।


अध्ययन में और क्या
 
भारत
में 43 प्रतिशत वयस्क लोगों की औसत संपत्ति एक हजार डॉलर से कम है। जबकि
दुनिया में यह आंकड़ा 27 प्रतिशत है। देश में महज 0.4 फीसदी लोगों की
संपत्ति एक लाख डॉलर से अधिक है। भारत समेत दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं
की बदौलत जनवरी 2010 से अभी तक वैश्विक संपत्ति 14 प्रतिशत बढ़ी है। जून
2011 तक इसमें 231 लाख करोड़ डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। इन 18 महीनों में
वैश्विक संपत्ति 4.6 लाख करोड़ डॉलर बढ़ी है। इसमें सबसे अधिक योगदान
अमेरिका का रहा है, जबकि भारत इस मामले में छठे पायदान पर रहा है।

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