मध्यस्थों और सरकार पर अन्ना ने साधा निशाना, कहा-अनशन तोड़ना मेरा अपना फैसला

मुम्बई. 
गांधीवादी और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे अब सोशल नेटवर्किंग
वेबसाइटों के माध्यम से अपने समर्थकों से रूबरू होंगे। गांधीवादी ने
गुरुवार को जहां अपने नाम से एक ब्लॉग की शुरुआत की वहीं वह फेसबुक और
ट्विटर से भी जुड़े। गांधीवादी के इस ब्लॉग का नाम ‘अन्ना हजारे सेज’ दिया
गया है जो अंग्रेजी, हिंदी और मराठी में उपलब्ध होगा और इसे ‘अन्ना
हजारेसेज डॉट वर्डप्रेस डॉट कॉम’ पर देखा जा सकता है।


गुरुवार को अपने
पहले पोस्ट में अन्ना ने अगस्त में रामलीला मैदान में अनशन के दौरान सरकार
और उनके बीच मध्यस्थता करने वालों पर निशाना साधा है। अन्ना ने इस लेख के
जरिए सरकार की भी नीयत पर सवाल उठाए हैं। अन्ना ने मध्यस्थों को कठघरे में
खड़ा करते हुए लिखा है, ‘मध्यस्थों ने झूठे प्रचार के जरिए यह साबित करने
की कोशिश की थी कि मेरा अनशन तोड़ने का फैसला उनकी मेहनत का नतीजा है।’    

 
अन्ना ने लिखा, ‘ मैंने अपना अनशन अपनी आत्मा की आवाज़ सुनकर और
सरकार की तरफ से लिखित आश्वासन मिलने के बाद तोड़ा था। मैं यह ब्लॉग उस
भ्रम को खत्म करने के लिए लिख रहा हूं, जो उन लोगों ने पैदा करने की कोशिश
की थी जो खुद को मध्यस्थ बता रहे थे और अनशन टूटने का पूरा श्रेय अपने
पसंदीदा मंत्रियों को दे रहे थे। इन लोगों ने इंटरव्यू दिए और अखबारों में
अपनी प्रशंसा करते हुए लेख लिखे। यह पूरी तरह से झूठ है। आज तक सत्य के लिए
अपने संघर्ष में मैंने कभी भी ऐसा निर्णय नहीं लिया है, जो मेरे विचार से
मेल न खाता हो।’ 
 
 
अन्ना ने अपने ब्लॉग में सरकार को भी आड़े
हाथों लेते हुए कहा, केंद्र ने मेरी टीम की छवि खराब करने के लिए बातचीत के
लिए ऐसे प्रतिनिधि भेजे जो खुद भ्रष्टाचार से घिरे हुए थे। अन्ना ने पूछा,
‘क्या सरकार को साफ छवि के लोगों को बातचीत के लिए भेजना मुश्किल था?’
गौरतलब है कि सरकार और अन्ना के बीच केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख और
इंदौर के आध्यात्मिक गुरु भैय्यू जी महाराज मध्यस्थ की भूमिका में थे।  
 
अपने
ब्लॉग की शुरुआत करते हुए अन्ना हजारे ने लिखा, "एक लम्बे समय के बाद मैं
आपलोगों से सीधे बातचीत कर रहा हूं। अब इस ब्लॉग के जरिए मैं आप लोगों से
लगातार सम्पर्क में रहूंगा।" उन्होंने कहा, "हमने भारत में एक प्रभावी
जनलोकपाल विधेयक को पारित कराने की मांग को लेकर एक आंदोलन की शुरुआत की और
रामलीला मैदान से यह आंदोलन धीरे-धीरे एक व्यापक अंहिसक क्रांति में बदल
गया।" सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि उन्हें लोगों और युवाओं का जबर्दस्त
सहयोग मिला।
 
उनके समर्थन में लोग देश के प्रत्येक हिस्से से आए और
गहरी नींद में सो रहे भारत को जगाया। अन्ना हजारे ने कहा, "लोगों की इस
भागीदारी ने न केवल हमारे देश की जड़ों को हिलाया बल्कि विश्व के उन लोगों
को भी झकझोरा जो अन्याय और भ्रष्टाचार के शिकार हुए।" उन्होंने कहा,
"आंदोलन धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गया। यह परिवर्तनकी शुरुआत है। यह
भारत की दूसरी आजादी के संघर्ष की शुरुआत है।" ये है अन्ना का
ब्लॉग-annahazaresays.wordpress.com

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