नई दिल्ली। किसानों के दबाव में सरकार ने दो सप्ताह के भीतर ही अपना
फैसला पलटते हुए प्याज निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है। इससे प्याज और
महंगा हो सकता है। प्याज निर्यात से रोक हटाने का यह फैसला भी उसी
मंत्रियों के उसी अधिकारप्राप्त समूह [ईजीओएम] ने लिया है, जिसने इस पर रोक
लगाई थी।
राजनीतिक रूप से संवेदनशील प्याज को लेकर सरकार दोहरे दबाव से गुजर रही
थी। प्याज की बढ़ती कीमतों को देखते हुए निर्यात पर रोक के सरकार के फैसले
से प्याज उत्पादक महाराष्ट्र में किसानों का आंदोलन भड़क गया था। राज्य में
अगले साल विधानसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्र पर राजनीतिक दबाव बढ़ गया।
प्याज संकट से निपटने के लिए खुद वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी को आगे किया
गया। राज्य के राजनीतिक दलों और किसान प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श के
बाद मुखर्जी की अध्यक्षता वाले ईजीओएम ने नौ सितंबर को लिए गए अपने फैसले
को मंगलवार को बदल दिया। सरकार के इस फैसले से प्याज के मूल्य में तेजी की
आशंका है। हालांकि, ईजीओएम ने अपने फैसले में निर्यात होने वाली प्याज का
न्यूनतम मूल्य 475 डॉलर प्रति टन निर्धारित किया है।
क्यों आएगी दामों में तेजी
-निर्यात पाबंदी हटाने के फैसले के बाद इसके दामों में कई वजहों से
तेजी आ सकती है। देश के बाहर खासी मांग को देखते हुए किसान अधिक मुनाफा
कमाने के लिए ज्यादातर प्याज का निर्यात करेंगे। अनियमित बारिश के चलते इस
बार प्याज की फसल के प्रभावित होने के आसार हैं। कृषि उपज मंडी समिति
[एपीएमसी], मुंबई के एक अधिकारी मुताबिक, अक्टूबर के अंत तक प्याज का
पुराना स्टॉक खत्म हो जाएगा, लेकिन निर्यात और कमजोर फसल के चलते इसकी
उपलब्धता घटेगी। लिहाजा इसके दामों में तेजी आएगी। कुछ कारोबारियों का तो
यहां तक मानना है कि प्याज के दाम अक्टूबर के अंत तक 80 रुपये प्रति किलो
तक पहुंच सकते हैं। दिल्ली में फिलहाल प्याज के खुदरा दाम 25 रुपये प्रति
किलो के ऊपर चल रहे हैं।
ईजीओएम के अन्य निर्णय
चीनी की स्टॉक सीमा दो माह तक और जारी रहेगी
त्योहारी सीजन में चीनी के मूल्य थामने के लिए सरकार ने उसकी स्टॉक
लिमिट [सीमा] को दो महीने के लिए और बढ़ाने का फैसला किया है। नवंबर में
इसकी स्टॉक सीमा और निर्यात का फैसला लिया जाएगा। चावल की स्टॉक सीमा
राज्यों से विचार-विमर्श से एक महीने बाद तय की जाएगी। तिलहन और दलहन की
स्टॉक सीमा अगले एक साल के लिए बढ़ा दी गई है।
अनाज ढुलाई का खर्च वहन करेगा केंद्र
महंगाई की आग पर पानी डालने की कोशिश में ईजीओएम ने खुले बाजार में
जारी किए जाने वाले अनाज का मूल्य कम करने का फैसला किया है। यह अनाज पहले
की तरह न्यूनतम समर्थन मूल्य [एमएसपी] पर ही दिया जाएगा, लेकिन उत्पादक
राज्य से उपभोक्ता राज्य की राजधानी तक का ढुलाई खर्च केंद्र सरकार वहन
करेगी।