वन सुरक्षा समिति के कानून में होगा परिवर्तन : वन मंत्री

नागराकाटा, संवादसूत्र : वन विभाग की गतिविधियों में आम नागरिकों की
भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए गठित वन सुरक्षा समिति यानी कि फॉरेस्ट
प्रोटेक्शन कमेटी के पुराने कानून को बदलने पर राज्य सरकार विचार कर रही
है। इस समिति में संबंधित विधायकों को भी शामिल करने पर विचार किया जा रहा
है। वन सुरक्षा समिति के सदस्यों को सीएफसी लकड़ी की बिक्री के लाभांश की
रकम सौंपने के लिए आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वन मंत्री हितेन
बर्मन ने उक्त बातें कही। रविवार को सुलकापाड़ा के कम्यूनिटी हॉल में
जलपाईगुड़ी डिवीजन की पहल पर उक्त कार्यक्रम आयोजित हुआ। नए कानून के
निर्माण के लिए लक्ष्मी पूजा के बाद वन विभाग की सभी वन सुरक्षा समितियों
के प्रतिनिधियों को लेकर बैठक की जाएगी। उन्होंने कहा कि वन्य संपदा का लाभ
वनवासियों को मिले इसके लिए नया कानून बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि
वर्तमान कानून में गैर आदिवासियों के लिए वनांचल में निवास करने के लिए 75
वर्ष के निवास प्रमाणपत्र की अनिवार्यता व्यावहारिक नहीं है। इसे बदलने के
लिए केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है। वन अधिकार रक्षा अधिनियम 2006 को
लागू करने में आने वाली कठिनाईयों के बारे में केंद्र से बातचीत चल रही है।
पेड़ों के अलावा वनों की लताओं व फूलों को वन विभाग के कानून के तहत लाए
जाने पर विचार हो रहा है। वन मंत्री ने बताया कि फिलहाल 2300 आमार बाड़ी
प्रकल्प को मंजूरी दी गई है। अगले चार माह में इसे लागू किया जाएगा। चूंकि
इसके लाभार्थी को बीपीएल होना अनिवार्य है इसलिए इससे कई जटिलताएं पैदा हो
रही हैं। इन्हें दूर करने का प्रयास हो रहा है। बीपीएल सूची तैयार करने में
गड़बड़ी हुई है। उसमें सुधार के लिए भी बातचीत हो रही है। सौ दिनी रोजगार
योजना के क्रियान्वयन में गति लाने के लिए राज्य सरकार वन व कृषि विभाग को
भी इस परियोजना के साथ संबद्ध किया है। इस रोज के कार्यक्रम में जलपाईगुड़ी
डिवीजन अंतर्गत कुल 63 वन सुरक्षा समितियों के हाथों काठ बिक्री के लाभांश
सौंपे गए। इस मौके पर उपस्थित थे वन मंत्री के अलावा वन उन्नयन निगम के
चेयरमैन व विधायक खगेश्वर राय, विधायक ममता राय, जोसफ मुंडा, मुख्य वनपाल
उत्तर राजकुमार माहातोलिया, वनपाल उत्तर मनींद्र चंद्र विश्वास और डीएफओ
कल्याण दास।

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