खंडवा में कुपोषण के शिकार बच्चों की हालत खराब

जागरण ब्यूरो, भोपाल। मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में कुपोषण के शिकार
बच्चों का बुरा हाल है। शनिवार रात एक बच्ची की मौत के बाद से सरकारी
मशीनरी सकते में है और बच्ची की मौत की वजह किसी और बीमारी को बता रही है।
जिले में कुपोषण के शिकार लगभग नब्बे बच्चों का इलाज किया जा रहा है।

खंडवा के बाल शक्ति केंद्र में इलाज करा रही खालवा क्षेत्र के गोलखेड़ा
की एक बालिका प्रमिला की शनिवार को मौत हो गई। उसे कुपोषण और डायरिया के
कारण दस दिन पहले भर्ती किया गया था। केंद्र के प्रभारी डॉ. भूषण बाडे के
मुताबिक बच्ची को लगातार तीन दिन तक ब्लड चढ़ाया गया। लेकिन, हालत ज्यादा
गंभीर होने के कारण उसे बचाया नहीं जा सका। बाल शक्ति पोषण पुनर्वास
केन्द्र में अति कुपोषण के शिकार बच्चों को 14 दिन के लिए भर्ती किया जाता
है। राज्य में इस तरह के 271 केंद्रों का संचालन किया जा रहा है।

जहां तक जिला प्रशासन का सवाल है तो कलेक्टर कवीन्द्र कियावत का कहना
है कि प्रमिला को जलने के कारण बाल शक्ति केंद्र में भर्ती किया गया था। वह
कुपोषण की शिकार नहीं थी। सिविल सर्जन डॉ.आर.सी.पनिका ने भी कुपोषण को
मौत की वजह नहीं बताया है। उनके मुताबिक प्रमिला की मृत्यु गंभीर संक्रमण
से हुई है।

एक कप दूध से कैसे दूर होगा कुपोषण

खंडवा जिले के आदिवासी ब्लाक खालवा के बाल शक्ति केंद्र की हालत सबसे
ज्यादा खराब है। कुपोषण के शिकार बच्चों को इस केन्द्र में एक कप दूध दिया
जाता है। पिछले दो दिनों में गुड़ी, खालवा, छनेरा व आस-पास के क्षेत्रों के
कुपोषित बच्चों को बाल शक्ति केंद्र में भर्ती किया गया है। जिले भर के
करीब 90 कुपोषित बच्चे केन्द्र में भर्ती हैं। जबकि केंद्र की क्षमता सिर्फ
बीस बिस्तरों की है। डाक्टरों का कहना है कि बच्चों में रोग प्रतिरोधक
क्षमता कम होने के कारण वे अकसर दूसरी बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं।

कुपोषण की हालत जिले में चिंताजनक है, यह इसी से पता चलता है कि दो
दिनों से कलेक्टर कवीन्द्र कियावत आदिवासी ब्लाकों का दौरा कर रहे हैं।
उन्होंने रविार को यूनीसेफ, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास विभाग के
अधिकारियों को साथ लेकर खालवा, रोशनी, सिंगोट और छैगाँव माखन का भ्रमण
किया। उन्होंने अस्पताल, बाल शक्ति केन्द्रों में और बेहतर व्यवस्था के
हिदायत दी। खालवा में कुपोषण नियंत्रण जागरुकता रथ चलाने के निर्देश दिए गए
हैं। यह रथ खालवा ब्लॉक के सभी 153 गांवों में जाएगा। इस रथ के साथ मेडिकल
टीम भी जाएगी और बच्चों का उपचार करेगी। यह रथ रोजाना पांच गांवों में
जाएगा। रोशनी गांव में बीआरजीएफ के भवन को बाल शक्ति केंद्र में बदलने के
निर्देश दिए गए हैं। यहां पन्द्रह बिस्तर लगाए जाएंगे।

इस बीच स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जिला अस्पताल में अति कम वजन के
70 बच्चों का इलाज किया जा रहा है। छैगाँव माखन अस्पताल में आज से ही शुरू
हुए बाल शक्ति केंद्र में दस बच्चों को रखा गया है।

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