रायपुर। छत्तीसगढ़ में विपक्षी कांग्रेस ने शुक्रवार को यह आरोप लगाते
हुए विधानसभा से बहिर्गमन किया कि पुलिस जनजातीय समुदाय के लोगों को
नक्सली बताकर उन्हे फर्जी मुठभेड़ में मार डालती है।
विधानसभा में मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस सदस्यों ने एक ग्राम प्रधान की
मौत के मामले का जिक्र करते हुए कहा कि अर्धसैनिक जवानों ने गांव से ग्राम
प्रधान को उठा लिया, बाद में वह मृत पाए गए।
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल ने कहा, ”राज्य के
समूचे जनजातीय क्षेत्र में लोग पुलिस से आतंकित है, क्योंकि कई निर्दोष
लोगों को फर्जी मुठभेड़ में पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवानों ने मार डाला
है।”
उन्होंने राज्य के गृह मंत्री ननकीराम कंवर से इन आरोपों पर जवाब मांगा
और छह जुलाई को उत्तरी जिला सरगुजा में 16 वर्षीया एक किशोरी मीना खाल्को
से कथित बलात्कार तथा हत्या के बारे में पूछा।
दक्षिणी जिले दंतेवाड़ा में पांच अगस्त को 30 वर्षीय एक ग्राम प्रधान
मदकामी मस्सा को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान गांव से उठा ले गए और
फर्जी मुठभेड़ में कथित तौर पर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
कंवर ने आरोपों का खंडन किया और कहा कि लड़की की हत्या मामले की न्यायिक
जांच चल रही है तथा ग्राम प्रधान की हत्या की न्यायिक दंडाधिकारी से जांच
कराई जा रही है।
उन्होंने ग्राम प्रधान की हत्या की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई)
से या न्यायिक जांच कराने की मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ‘मस्सा
सीआरपीएफ के खोजी दल के साथ एक मुठभेड़ में मारा गया। इस दल में 105 जवान
थे।’
गृह मंत्री के बयान पर कोंटा से कांग्रेस विधायक कवासी लखमा ने आपत्ति जताई। ग्राम प्रधान की हत्या कोंटा में ही हुई थी।
लखमा ने कहा, ”चिकपाल गांव के प्रधान मस्सा जनजाति समुदाय के अन्य
लोगों की तरह लुंगी पहना करते थे। सीआरपीएफ के जवानों ने जबरन उन्हें
नक्सलियों की वर्दी पहना दी, उनकी हत्या मुठभेड़ जैसा लगे।”
90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 39 सदस्य है। सीबीआई जांच की मांग
गृह मंत्री द्वारा खारिज करने और दंडाधिकारी स्तर की जांच को पर्याप्त
बताए जाने पर सभी कांग्रेस सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए।