में मिलती हैं। कारण यहां होने वाला इंफेक्शन है।इसके कारक खुद अस्पताल के
स्टाफ ही हैं जो संक्रमण के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया के वाहक होते हैं।
बीएचयू में हुए ताजा शोध में मिला है कि 43.5 फीसदी मामलों में ऐसे वाहक
वार्ड अटेंडेंट होते हैं जबकि 21.7 फीसदी मामलों में डाक्टर। बैक्टीरिया
इनके नाक, मोबाइल, स्टेथोस्कोप आदि में छुपे रहकर संक्रमण फैलाता है।
चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. त्रिभुवन मोहन मोहापात्रा के
निर्देशन में छात्रा विद्या श्रेष्ठा ने यह शोध किया है।
यह अध्ययन
नेपाल के दो अस्पतालों काठमांडू बेस हास्पिटल और ललितपुर बेस हास्पिटल में
439 लोगों पर हुआ। सभी परीक्षण बीएचयू और गुड़गांव के एक लैब में हुए।
अध्ययन अस्पताल में संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया स्टेफिलो एउरस पर
केंद्रित रहा। पता चला कि सबसे ज्यादा संक्रमण पोस्ट आपरेटिव साइट में 51.5
फीसदी है। इसमें भी जनरल सर्जरी में संक्रमण 40.4 फीसदी मिला जबकि
गायनकोलाजी में 26 फीसदी, आर्थोपेडिक्स में 15.4 फीसदी और रोड ट्रैफिक
एक्सीडेंट के उपचार में 9.6 फीसदी।
इस बैक्टीरिया के दोनों प्रकार –
मेथिसिलिन संवेदी (एमएसएसए) और मेथिसिलिन प्रतिरोधी (एमआरएसए) का डाटा भी
चौंकाने वाला रहा। सर्जिकल साइट में 51.9 फीसदी मामले में एमएसएसए संक्रमण
के कारक मिले तो 48.1 फीसदी में एमआरएसए। पेशाब के रास्ते में इंफेक्शन के
मिले 16.9 केस में से 60.3 फीसदी में एमएसएसए ही कारक मिला। फेफड़े में
संक्रमण के मिले 11.6 फीसदी केस में से 23.4 फीसदी में भी एमएसएसए कारक
रहा।
कोट
भारत के अस्पतालों में इंफेक्शन रेट 10 से 30 प्रतिशत
है। बीएचयू अस्पताल में यह करीब 50 फीसदी तक है। इसलिए यहां आईसीयू में
एंटी बायोटिक ड्रग पालिसी लागू कर दी गई है। इसे जल्द ही पूरे अस्पताल में
लागू करने पर विमर्श जारी है।- प्रो. टीएम मोहापात्रा, निदेशक-चिकित्सा
विज्ञान संस्थान, बीएचयू।
शोध में दिए गए सुझाव
इंफेक्शन से बचाव संबंधी सुझाव
इंफेक्शन कंट्रोल टीम बने।
एंटी बायोटिक नीति बने और उसका कड़ाई से पालन हो।
हर रोगी के केयर के बाद अस्पताल स्टाफ साबुन या अलकोहल बेस्ड हैंड रब से हाथ साफ करें
स्टाफ मास्क और ग्लब्स जरूर पहनें
उपकरण और औजार भी ठीक से धोए-साफ किए जाएं