जागरण ब्यूरो, भोपाल। राज्य सरकार के दो विभाग महात्मा गांधी
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी मिशन में हुई गड़बड़ियों और उससे जुड़े
अफसरों को बचाने में लगे हैं। वे इस संबंध में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करा
रहे हैं। इससे नाराज होकर मुख्य सूचना आयुक्त ने सरकार से इस संबंध में अब
तक हुई कार्रवाई का मूल रिकार्ड सूचना आयोग में जमा करने के लिए कहा है।
पिछले सालों में मनरेगा में टीकमगढ़, भिंड, बालाघाट और छिंदवाड़ा में
बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां पाई गई थीं। टीकमगढ़ कलेक्टर केपी राही को तो सरकार
को निलंबित भी करना पड़ा था। इसके अलावा भिंड के तत्कालीन कलेक्टर एसएस
अली, छिंदवाड़ा के तत्कालीन कलेक्टर निकुंज श्रीवास्तव बालाघाट के नवनीत
कोठारी, सीधी के सुखवीर सिंह और सीईओ चंद्रशेखर बोरकर (सभी आईएएस) की जांच
शुरू हुई थी।
इस मामले में कार्रवाई सामान्य प्रशासन विभाग को करना थी। ग्रामीण
विकास विभाग को यह जानकारी उसे उपलब्ध कराना थी। इस मामले में केंद्र से भी
कई बार पत्राचार हुआ। प्रयत्न संस्था के अजय दुबे ने सूचना के अधिकार के
तहत केंद्र और राज्य के अलावा इन दोनों विभागों के बीच हुए पत्राचार व अब
तक हुई कार्रवाई का विवरण मांगा था। एक साल में ये दोनों विभाग ये जानकारी
नहीं दे पाए। इस पर उन्होंने मुख्य सूचना आयुक्त पीपी तिवारी के समक्ष अपील
की।
इस अपील की सुनवाई में मुख्य सूचना आयुक्त ने भ्रष्टाचार से जुड़े इस
मामले की जानकारी नहीं देने पर शासन से इससे संबंधित पूरा रिकार्ड 15 दिन
में सूचना आयुक्त कार्यालय में जमा करने के आदेश दिए है।