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बीज विधेयक
2010 संसद के मौजूदा सत्र में बहस के बाद पारित किए जाने के लिए तैयार है। इस
विधेयक का शुरुआती मसौदा किसानों के बजाय कृषि-व्यवसायियों के फायदे में होने के
कारण विवादास्पद साबित हुआ था। पहले संसदीय स्थायी समिति और फिर सर्वदलीय बैठक में
विचार-विमर्श के बावजूद कई किसान संगठनों, विपक्षी राजनीतिकदलतथा नागरिक संगठनों का मानना है कि
यह विधेयक छोटे और सीमांत किसानों के हितों की रक्षा में सफल नहीं है।
यूपीए
अध्यक्ष के राष्ट्रीय सलाहकार परिषद(एनएसी) के कई सदस्यों ने इस विधेयक के
किसान-विरोधी प्रावधानों की खुलेआम मुखालफत की है जबकि कुछ दिग्गजों जैसे बिहार के
मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने यह कहकर अपना विरोध प्रकट किया है कि विधेयक में
राज्यों को बीज के उत्पादन,
वितरण, विपणन या फिर उनके
बाजार-मूल्य को निर्धारित करने के मामले में कोई अख्तियार नहीं दिया गया है। एक
तरफ जहां बीज बेचने वाली कंपनियां पहले ही आकाश छूती कीमतों के सहारे भरपूर मुनाफा
कमा रही हैं वहीं बीज विधेयक में बीजों के खुदरा मूल्य या बड़े कारपोरेट की कुल
रॉयल्टी को निर्धारित करने के लिए कोई प्रावधान नहीं किए गए हैं।
संयोगात्
देश के कुछ राज्य मसलन आंध्रप्रदेश और कर्नाटक स्व सहायता समूहों की मदद से
सामुदायिक बीज बैंकों को बढ़ावा देने के मामले में बेहतर काम कर रहे हैं। लेकिन
समुदाय आधारित बीज-बैंक को कोई संस्थागत आधार प्रदान करने या फिर इस मामले में
अपने ही कामयाब नवाचारों(बेस्ट प्रैक्टिसेज) से सीखने की जगह सरकार की कोशिश
बीज-व्यवसाय को निजी कंपनियों के हाथ में सौंपने की है।
बीज विधेयक
के मौजूदा संस्करण में निम्नलिखित जरुरी बिन्दुओं की उपेक्षा की गई है( कृपया
विस्तार के लिए देखें नीचे दिए गए लिंक) :
1. बीज
कंपनियों की रॉयल्टी और बीजों के बाजार-मूल्य के नियमन करने के लिए विधेयक में
प्रावधान होने चाहिए। राज्यों को उनके
आपेक्षिक क्षेत्र में ऐसा करने के अधिकार दिए जाने चाहिए। राज्यों को यह अख्तियार
होना चाहिए कि वे अपनी मिट्टी के मिज़ाज के माफिक बैठने वाले बीजों के पंजीकरण या
फिर उनके उपयोग की अनुमति दे सकें। (खेती राज्यसूची के विषयों के अन्तर्गत है।
इसके बावजूद बीज विधेयक 2010 में राज्यों को बाजार के नियमन के मामले में शायद ही
कोई अख्तियार दिया गया है)
2. ब्रांडेड
बीजों के इस्तेमाल के बाद फसल मारी जाय तो किसानों की इस अघट से सुरक्षा की जानी
चाहिए। फसल के मारे जाने पर किसानों को दिया जाने वाला मुआवजा बीज-मूल्य से जोड़कर
तय किया जाय( मिसाल के लिए किसी कंपनी द्वारा बेचे गए बीज की कुल कीमत का 100 गुणा
ना कि महज 30 हजार रुपये जैसा कि विधेयक में प्रावधान किया गया है)।साल 2005 में
महिको सीड कंपनी( मोन्सेंटो का स्थानीय साझीदार) ने वारंगल जिले के किसानों को
मुआवजा देने से मना कर दिया था जबकि किसानों ने इसी कंपनी से महंगे बीज खरीदे और
उनके कपास की फसल मारी गई। इसलिए, फसल के मारे जाने की दशा में किसान के हित की रक्षा करने के
लिए बीज विधेयक में कंपनी की जवाबदेही ठहराने वाला विधेयक जरुर होना चाहिए।
3. विधेयक
में बीजों के खुलेआम आयात का प्रावधान नहीं होना चाहिए। इस क्रम में ध्यान रखा
जाना चाहिए कि देश के विभिन्न इलाकों की मिट्टी के मिज़ाज और वातावरण के माफिक
बैठने वाले बीजों के आयात की अनुमति हो। पहले आयातित बीजों की भारतीय भूमि पर जांच
की जाय और यह सुनिश्चित किया जाय कि वे न्यूनतम उपज क्षमता दिखा पा रहे हैं या
नहीं, इसके बाद
इन बीजों का उपयुक्तता के आधार पर प्रामाणीकरण किया जाय। विधेयक में इस बात के भी
प्रावधान होने चाहिए कि कोई विदेशी कंपनी किसी फसल के स्थानीय बीज की कोई प्रजाति
अपने नाम पर ना दर्ज करा ले।
4. विधेयक
के अधिनियमित रुप में समुदाय-आधारित बीज बैंकों को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत
व्यवस्था के प्रावधान होने चाहिए। फिलहाल अधिकतर बीज-बैंक स्व-सहायता समूहों के
द्वारा चलाये जा रहे हैं। विधेयक के अधिनियमित रुप में ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए
कि बीजबैंकों का संबंध कृषि-विज्ञान केंद्रों, कृषि-विश्वविद्यालयों, आईसीएआर और राज्यों के वित्त संस्थाओं से इस
तरह बने कि (a) बुनियादी
बीज (b) तकनीकी
सहायता और (c) कामकाजी
पूंजी, बीज-बैंकों
को राज्य सरकारों से हासिल हो। कृषि-विज्ञान केंद्रों से जुड़े बीज –बैंकों को
बीज-व्यवसाय में उतरने के लिए प्रामाणीकरण की जरुरतों से मुक्त रखा जाय।
इस विषय पर विस्तृत जानकारी और विश्लेषण के लिए कृपया निम्नलिखित
लिंक्स को देखें-
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Representation on Seed Bill, 2010 to Prime Minister
AMENDMENTS PROPOSED BY AP STATE GOVT FOR THE SEED BILL 2004
SEED BILL 2010 an analytical view
Seed bill 2010 concerns and amendments proposed hindi
Seed Bill 2010 with Amendments
http://www.tehelka.com/story_main50.asp?filename=Ws050811SEED_BILL.asp#
No Scarecrow Will Chase the US Away
class="MsoNormal"> ‘Everyone Wants Wheat And Rice’
UPA
ministers back Nitish opposition to Seed Bill, http://www.im4change.org/rural-news-update/upa-ministers-back-nitish-opposition-to-seed-bill-6611.html
India Needs A Seed Liability Bill by Devinder Sharma, http://www.im4change.org/rural-news-update/india-needs-a-seed-liability-bill-by-devinder-sharma-4522.html
States, farmer groups unhappy with Seed Bill, http://www.im4change.org/rural-news-update/states-farmer-groups-unhappy-with-seed-bill-2725.html
Sowing Discontent by Jayshree Nandi, http://www.im4change.org/rural-news-update/sowing-discontent-by-jayshree-nandi-2523.html
Seed bill retake by Jyotika Sood, http://www.im4change.org/rural-news-update/seed-bill-retake-by-jyotika-sood-2220.html
The Kernel Of Bad Ethics by Suman Sahai, http://www.im4change.org/rural-news-update/the-kernel-of-bad-ethics-by-suman-sahai-1842.html
Seed of discontent: Bill to protect farmers or multinationals?
http://www.im4change.org/news-alert/seed-of-discontent-bill-to-protect-farmers-or-multinationals-1760.html
Representation on Seed Bill, 2010 to Prime Minister
AMENDMENTS PROPOSED BY AP STATE GOVT FOR THE SEED BILL 2004
SEED BILL 2010 an analytical view
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UPA ministers back Nitish opposition to Seed Bill, http://www.im4change.org/rural-news-update/upa-ministers-back-nitish-opposition-to-seed-bill-6611.html
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http://www.im4change.org/news-alert/seed-of-discontent-bill-to-protect-farmers-or-multinationals-1760.html