की ओर से पेश कर दिया गया। उसके बाद उसे संसद की स्थायी समिति के पास भेज
दिया गया। दूसरी तरफ, अन्ना हजारे ने अपने गांव रालेगन सिद्धि में सरकारी
बिल की प्रतियां जलाईं। बीजेपी ने भी प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे से
बाहर रखने का विरोध किया।
अन्ना हजारे ने सरकारी बिल का मसौदा जलाने के बाद कहा कि वह 16 अगस्त को
अनशन जरूर करेंगे,चाहे उनकी जान ही क्यों न चली जाए। उन्होंने कहा कि हार्ट
अटैक से मर जाने से बेहतर है कि देश के लिए मर जाया जाए।
अन्ना हजारे ऐंड टीम सरकारी बिल के मसौदे से खुश नहीं हैं। उन्होंने
मंगलवार को विपक्ष का पत्र लिखकर उनसे समर्थन भी मांगा था और कहा था कि इस
बिल को संसद से पारित न होने दें।
वैसे, अन्ना इस बात से संतोष कर सकते हैं कि सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी
बीजेपी प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में रखने के पक्ष में है, जिससे
लोकपाल बिल के मौजूदा स्वरूप में पारित होना मुश्किल लगता है।
कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री वी. नारायणसामी द्वारा विधेयक
को लोकसभा में पेश करने से पहले अध्यक्ष मीरा कुमार ने विपक्ष की नेता
सुषमा को अपनी बात रखने का मौका दिया।
सुषमा ने प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने के प्रावधान पर
आपत्ति जताई और कहा कि जब आपराधिक कानून और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत
प्रधानमंत्री को अभियोजन से छूट नहीं मिली है तो उन्हें लोकपाल के दायरे
से बाहर क्यों रखा गया है। संविधान के तहत सभी को समानता का अधिकार है।