डीजल कार पर कश लगाना पड़ेगा महंगा-राम शंकर

यदि सरकार की चली तो डीजल कारों पर सफर करना और सिगरेट की कश लगाना महंगा पड़ सकता है। वित्त मंत्रालय के आला अधिकारियों की टीम सरकारी खजाने बढ़ाने के लिए आम लोगों की जेब ढीले करने में जुट गई है। माना जा रहा है कि सरकार डीजल कारों और तंबाकू उत्पाद पर 20-30 फीसदी एक्साइज ड्यूटी (उत्पाद शुल्क) बढ़ा सकती है। इस इजाफे पर 8 सितंबर को खत्म होने वाले संसद के मॉनसून सत्र के बाद ही फैसला लिए जाने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2012 में सरकार ने अप्रत्यक्ष कर वसूली का लक्ष्य 4.40 लाख करोड़ रुपए रखा है।

फिलहाल छोटी कारों पर 8 प्रतिशत और बड़ी कारों पर 20 प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगता है। लेकिन डीजल और पेट्रोल इंजन वाली कारों में कोई फर्क नहीं है। अभी जितनी कारें बिकती हैं उनमें से 30-35 प्रतिशत कारें डीजल से ही चलती हैं।

तंबाकू और उससे बने प्रोडक्ट को हतोत्साहित करने के लिए केंद्र तंबाकू उत्पादों पर अधिकतम टैक्स लगाती है। तंबाकू के पाउच पर उत्पादन लागत का 60 से 65 प्रतिशत तक और सिगरेट पर 500 प्रतिशत तक एक्साइज ड्यूटी है। गुजरात में तंबाकू उत्पादों पर 25 फीसदी कर है। राजस्थान में तंबाकू उत्पादों पर 40 प्रतिशत टैक्स है।

देश के ग्रामीण और शहरी इलाकों में लाखों लोग तंबाकू अथवा इससे बनी उत्पादों का सेवन करते हैं। केवल मध्य प्रदेश में 40 फीसदी आबादी यानी करीब तीन करोड़ लोग तंबाकू के आदी हैं। राज्य में तंबाकू उत्पादों पर अधिकतम 13 प्रतिशत वैट है। सिगरेट और गुटखा पर 12.5 प्रतिशत और बीड़ी पर 5 प्रतिशत वैट लगता है।

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