एमसीडी के सर्वे में यह बात सामने आई है कि दिल्ली के कई इलाके में लोगों को सीवर मिक्स पानी पीना पड़ रहा है। जल बोर्ड की पाइप लाइन में लीकेज की वजह से लोगों के घरों में सीवर का पानी जा रहा है। जल बोर्ड इन पाइप लाइनों को दुरुस्त नहीं कर रहा है। जल बोर्ड ने एमसीडी के सर्वे के बारे में जानकारी होने से इनकार किया और कहा कि यह घबराहट पैदा करने की कोशिश है। इसका फायदा बोतलबंद पानी बेचने वालों को मिलेगा।
‘ नहीं मिली रिपोर्ट ‘
दूसरी तरफ एमसीडी के हेल्थ कमिटी के चेयरमैन वी . के . मोंगा ने जोर देकर कहा कि यह जॉइंट सर्वे था। उन्होंने कहा कि हमेशा जॉइंट सर्वे ही किया जाता है। हमारी टीम के साथ जल बोर्ड के लोकल अधिकारी भी थे और अगर उन्होंने अपने उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं दी तो हम क्या कर सकते हैं। मोंगा ने कहा कि हमने 25 मार्च को जल बोर्ड की चेयरमैन मुख्यमंत्री को गंदे पानी के बारे में लिखा था। हमें दो महीने बाद इसका जवाब मिला कि उन्होंने यह पत्र जल बोर्ड को भेज दिया है। एमसीडी का आरोप है कि जल बोर्ड की लापरवाही की वजह से दिल्ली के लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। वहीं , जल बोर्ड के सीईओ ने कहा कि हम भी यह कह सकते हैं कि आपका ( एमसीडी ) नाला गंदा क्यों है। उन्होंने कहा कि बरसात में नालों में पानी भर जाता है और उसके पास से गुजर रही पानी की पाइप लाइन पर प्रेशर बढ़ जाता है।
14 हजार किमी लंबी पाइप लाइन
नेगी ने कहा कि जब पाइप लाइन बदलने की बात होती है , तो एमसीडी से हमें रोड काटने की परमिशन नहीं मिलती। उन्होंने बताया कि हाल ही में इंद्रपुरी में जब बहुत दिनों तक इजाजत नहीं मिली तो हमने बिना परमिशन के ही रोड काट दी , जिस पर एफआईआर भी हुई। उन्होंने कहा कि हम सरकार से मांग करेंगे कि परमिशन मिलने कीप्रकिया को सरल बनाया जाए , ताकि जल्दी परमिशन मिल जाए। जल बोर्ड के चीफ इंजीनियर बी . एम . धवन ने एमसीडी का नाम लिए बिना कहा कि सोचने वाली बात यह है कि बरसात में ही क्यों ज्यादा कंटामिनेशन होता है। ड्रेनेज सिस्टम को भी ठीक करने की जरूरत है।