दिल्ली की यमुना सबसे अधिक प्रदूषित है। नर्मदा के पानी की स्वच्छता की वजह है इसके आस-पास औद्योगिक क्षेत्र न होना और आबादी का दबाव कम होना। इससे प्रदूषण की चपेट में अधिक नहीं आती नर्मदा। नर्मदा में गुजरात के भरूच में हानिकारक बैक्टीरिया फीकल कैलीफार्म की संख्या 90 है।
मध्यप्रदेश के होशंगाबाद में 17 फीकल कैलीफार्म मिले हैं। 100 मिली लीटर पानी में इस बैक्टीरिया की संख्या 2500 से कम होनी चाहिए,जबकि यमुना के 100 मिली लीटर पानी में 2 अरब से ज्यादा हानिकारक बैक्टीरिया हैं। आक्सीजन की बात करें तो एक लीटर पानी में ऑक्सीजन की मात्रा के मामले में भी नर्मदा का पानी तय मानकों पर खरा उतरा है। एक लीटर पानी में चार मिलीग्राम से ज्यादा ऑक्सीजन होना चाहिए। नर्मदा के पानी में अधिकतम 11.5 मिलीग्राम ऑक्सीजन है जबकि न्यूनतम ऑक्सीजन की मात्रा 4.2 मिली ग्राम है।
बीमारियों की जड़: पीने लायक पानी में कैलीफार्म की संख्या 50 से अधिक नहीं होना चाहिए। संख्या ज्यादा होने से पेट में संक्रमण, टॉयफायड, हैजा होने का खतरा बढ़ जाता है।
होशंगाबाद के पानी में ऑक्सीजन सबसे कम
होशंगाबाद में नर्मदा के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा सबसे कम है। डीडी बासु ने बताया कि जिन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा वेस्ट वाटर मिलाया जाता है, वहां ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जाती है। रिपोर्ट के मुताबिक यहां बायो-केमिकल ऑक्सीजन डिमांड 30 मिली ग्राम प्रति लीटर से ज्यादा पहुंच गई है जबकि यह डिमांड 3 मिली ग्राम प्रति लीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यह डिमांड जितनी बढ़ती जाएगी ऑक्सीजन का स्तर कम होता जाएगा। बोर्ड में वैज्ञानिक डीडी बासु ने भास्कर को बताया कि नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से खंभात की खाड़ी तक 18 जगहों से पानी का नमूना लिया गया था।
कितना कैलीफार्म
नर्मदा में सबसे कम बैक्टीरिया
4 लाख
गंगा
340
गोदावरी
1400
कृष्णा
90
नर्मदा
2 अरब
यमुना