गृह मंत्री पी चिदंबरम ने लोकपाल के दायरे से प्रधानमंत्री को अलग रखे जाने के सरकार के मसौदे के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि लोकपाल विधेयक एक अगस्त से शुरू हो रहे संसद के मॉनसून सत्र में पेश किया जाएगा.
समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, "बिना किसी बदलाव के या कुछ बदलाव के बाद एक बार जब इसे कैबिनेट में पास कर दिया जाएगा, उसके बाद ये सरकारी विधेयक संसद में पेश किया जाएगा."
प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में रखने को लेकर चल रहे विवाद के बारे में चिदंबरम ने कहा कि कैबिनेट में पेश किए जाने से पहले यही सोच है कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे से बाहर रखा जाए.
सहमति
उन्होंने कहा, "कैबिनेट चाहे तो विधेयक में बदलाव कर सकती है लेकिन अभी तक हमारी यही सोच है कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे से बाहर रखा जाए. आख़िरकार ये सरकार पर है कि वो इस पर क्या सोचती है और किस रूप में इसे संसद में पेश करती है. संसद की स्थायी समिति इसमें बदलाव ला सकती है, संसद इसमें बदलाव ला सकती है."
अन्ना हज़ारे की टीम का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि पता नहीं लोग ये क्यों सोचते हैं कि इस मामले पर उनके विचार ही सही हैं, दूसरों के नहीं.
सरकार ने लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए जो समिति बनाई थी, उनमें नागरिक समाज के प्रतिनिधियों को भी जगह दी गई थी, लेकिन मसौदे पर सरकार और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों में सहमति नहीं बन पाई.
पी चिदंबरम ने माना कि दोनों पक्षों में कई मुद्दों पर मतभेद थे, लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कई मुद्दों पर सहमति भी थी.