के बाद विकसित भूमि के पांच फ़ीसद हिस्से को लौटाने के लिए प्रशासन को
पांच और दिनों की मोहलत देते हुए धमकी दी है कि यदि प्राधिकरण उनकी मांगों
को नहीं पूरा करता है तो आवासीय परियोजनाओं पर काम रोक दिया जाएगा. नोएडा
एक्सप्रेसवे से लगे गांवों के किसानों की बैठक में किसान अपनी मांगों को
लेकर 31 जुलाई की तिथि तय की थी.
किसान नेता वीर सिंह यादव ने कहा, सरकार के इस वादों को देखते हुए कि वह
हमारी मांग पर गौर कर रही है, पंचायत ने तय किया है कि पांच अगस्त तक
बिल्डरों की परियोजनाओं का काम नहीं रोका जाएगा. कृषि योग्य भूमि का
‘जर्बदस्ती’ अधिग्रहण करने के खिलाफ़ कडे तेवर अपना चुके किसानों ने सरकार
से अधिक मुआवजा राशि की मांग की है और धमकी दी है कि अगर उनकी मांग को नहीं
माना जाता है तो आवासीय परियोजनाओं का काम नहीं होने दिया जाएगा.
आंदोलन के चौथे दिन करीब दो दर्जन से अधिक गांवों के किसान ने सोरखा इलाके
के निकट इस महापंचायत में हिस्सा लिया और अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा
कि सरकार ने विकसित भूमि का पांच फ़ीसदी हिस्सा वापस लौटाने का अपना वादा
नहीं निभाया. यादव ने कहा, हमारी मुख्य मांग भूमि मुआवजा में बढोतरी के साथ
ही विकसित भूमि का पांच फ़ीसद लौटाने को लेकर है, जिसे प्राधिकरण ने अब तक
वापस नहीं दिया है.
किसानों को उनकी मांगो को पूरा करने का आश्वासन देते हुए नोएडा के अध्यक्ष
और सीईओ बलविंदर कुमार ने कहा, सेक्टर 74 और इससे लगे इलाकों और शहादरा
गांव के नजदीक एक्सप्रेसवे से जुड़े इलाकों में बिल्डरों की विकास
परियोजनाएं जारी हैं. किसानों की विकसित भूमि के पांच फ़ीसद हिस्से की मांग
न्यायपूर्ण है. दस दिनों के अंदर इसे सुलझा लिया जाएगा. भूमि मुआवजे में
बढोतरी संबंधी मांग को हम राज्य सरकार के पास भेज देंगे.
ढाडा गांव में एक अन्य पंचायत में किसानों ने यह निर्णय लिया कि अगर उनकी
मांगें नहीं मानी जाती है तो वह अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे. उधर, करीब 300
ठेकेदारों ने नोएडा एक्सटेंसन में एकत्र होकर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया.
‘कांट्रेक्टर यूनियन’ के प्रतिनिधि यश गुप्ता ने बताया कि हर ठेकेदारों का
यहां पर कई करोड़ रुपए फ़ंसा हुआ है और बिल्डरों ने अब उन्हें अपना बकाया
राशि देने से इंकार कर दिया है. गेट्रर नोएडा के रोजा याकूबपुर गांव में
किसानों ने एक ‘हवन’ का आयोजन किया.