एसपीओ भर्ती: मानसून सत्र में सरकार लाएगी विधेयक

नई दिल्ली/रायपुर.छत्तीसगढ़
सरकार एसपीओ की पुलिस में भर्ती के लिए जल्द ही अध्यादेश लाएगी।
मुख्यमंत्री के सलाहकार पूर्व मुख्य सचिव शिवराज सिंह इस मामले में विधि
विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं। प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में
अध्यादेश को कानूनी जामा पहनाने के लिए विधेयक लाया जएगा।




एसपीओ की बहाली और तैनाती के लिए अलग से एक बटालियन बनाने का भी विचार है।
पढ़े-लिखे एसपीओ को पुलिस के तीन हजार खाली पदों पर बहाल किया जाएगा। कुछ
अनपढ़ एसपीओ को होमगार्ड में नौकरी दी जाएगी। होमगार्ड के एक हजार पद खाली
हैं।




नक्सली हमलों से बचाने के लिए एसपीओ चाहे छत्तीसगढ़ पुलिस में नौकरी करें
या फिर होमगार्ड में, सभी को आधुनिक हथियार से लैस किया जाएगा। एसपीओ से
होमगार्ड की वर्दी पहनने वाले जवानों को ऐसी जगह तैनाती मिलेगी जहां उन्हें
शस्त्र से लैस रखा जाएगा।




चिदंबरम से मिल बोले रमन, एसपीओ बहाली पर रोक नहीं




सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर राज्य सरकार विशेष रूप से प्रशिक्षित
किए गए एसपीओ को वापस बुलाकर उन्हें ज्यादा कारगर ढंग से नक्सलियों के
खिलाफ उतारने का मन बना चुकी है। केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम के साथ आधे
घंटे की बैठक के बाद राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने दैनिक भास्कर
से बताया कि ‘नक्सलियों के साथ हमारी लड़ाई जारी रहेगी।




रही बात सुप्रीम कोर्ट के आदेश की तो उसका पूरी तरह पालन कर छह सप्ताह के
अंदर कम्प्लाएंस रिपोर्ट दाखिल कर दी जाएगी।’ उन्होंने कहा, ‘एसपीओ की
बहाली पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक नहीं लगाई है। उसके इस्तेमाल पर कुछ निर्देश
दिए गए हैं।’




बढ़ेगा एसपीओ का वेतन




एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ‘अभी एसपीओ के कुल 22 सौ रुपए वेतन को
बेहद कम बताते हुए केंद्रीय गृहमंत्री से इसे बढ़ाने का अनुरोध किया गया
है।’ मुख्यमंत्री का मानना है कि एसपीओ को बेहतर जीवन यापन करने लायक वेतन
मिलना चाहिए। तय फार्मूले के मुताबिक एसपीओ के वेतन का 25 फीसदी भार राज्य
सरकारों के कंधे पर और 75 फीसदी केंद्र सरकार के कंधे पर है




झारखंड और ओडीशा के सीएम के साथ बैठक जल्द:




छत्तीसगढ़ सहित झारखंड और ओडिशा में काम कर रहे एसपीओ का इस्तेमाल आगे कैसे
किया जाए, इसका फार्मूला शीघ्र ही दो अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों से
बैठक कर केंद्रीय गृहमंत्री आपसी बातचीत के आधार पर तय करेंगे। गृहमंत्रालय
के उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि अगले हफ्ते ही अन्य मुख्यमंत्रियों से
चिदंबरम के साथ चर्चा की संभावना है।




आदिवासियों को मिलेगी नौकरी:

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मुख्यमंत्री ने बताया कि आदिवासी बहुल क्षेत्रों को शिड्यूल क्षेत्र घोषित
कर विशेष कानून के तहत स्थानीय आदिवासियों के लिए पटवारी, शिक्षक और अन्य
तरह की नौकरी की व्यवस्था राज्यपाल की अनुशंसा की जाएगी। जिससे गांवों से
गरीब आदिवासियों का पलायन रुके और वहीं उन्हें काम-धंधा का स्रोत दिया जा
सके।

 

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