भोरंज.
कक्कड़ पंचायत में एक गरीब रोशनलाल पिछले एक साल से अपनी मनरेगा की मजदूरी
लेने के लिए पंचायत कार्यालय के चक्कर काट रहा है। सरकार की तरफ से धनराशि
एकमुश्त जारी होने के बावजूद अदायगी नहीं हुई है। इससे पंचायत की कार्य
प्रणाली पर सवाल उठता है।
क्या है मामला
साही दा घाट गांव के रोशन लाल ने बताया कि गत वर्ष कक्कड़ पंचायत के
वार्ड-2 तथा 3 में मनरेगा के तहत दो कुओं का निर्माण चल रहा था। उसने इन
दोनों कुओं के लिए पत्थर तोड़ने का कार्य किया था। इसमें वार्ड-2 के कुएं
में उसकी 1700 तथा वार्ड-3 के कुएं में 1800 रुपए मजदूरी बनती है।
वार्ड-2 के कुएं को स्वीकृत करीब एक लाख में से करीब 20 हजार की अदायगी
अन्य मजदूरों को कर दी गई है, लेकिन उसके साथ आज तक टालमटोल की जा रही है।
इसी तरह वार्ड-3 के कुएं पर भी करीब 80,000 खर्च किए गए, लेकिन उसकी अदायगी
बेवजह लटकाई जा रही है।
कक्कड़ पंचायत में एक गरीब रोशनलाल पिछले एक साल से अपनी मनरेगा की मजदूरी
लेने के लिए पंचायत कार्यालय के चक्कर काट रहा है। सरकार की तरफ से धनराशि
एकमुश्त जारी होने के बावजूद अदायगी नहीं हुई है। इससे पंचायत की कार्य
प्रणाली पर सवाल उठता है।
क्या है मामला
साही दा घाट गांव के रोशन लाल ने बताया कि गत वर्ष कक्कड़ पंचायत के
वार्ड-2 तथा 3 में मनरेगा के तहत दो कुओं का निर्माण चल रहा था। उसने इन
दोनों कुओं के लिए पत्थर तोड़ने का कार्य किया था। इसमें वार्ड-2 के कुएं
में उसकी 1700 तथा वार्ड-3 के कुएं में 1800 रुपए मजदूरी बनती है।
वार्ड-2 के कुएं को स्वीकृत करीब एक लाख में से करीब 20 हजार की अदायगी
अन्य मजदूरों को कर दी गई है, लेकिन उसके साथ आज तक टालमटोल की जा रही है।
इसी तरह वार्ड-3 के कुएं पर भी करीब 80,000 खर्च किए गए, लेकिन उसकी अदायगी
बेवजह लटकाई जा रही है।